दिल के अल्फ़ाज़ - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

दिल के अल्फ़ाज़ मोहब्ब्त के नाम मैं लिखता हूँ,
बात ये है कि तिरे जज़्बात मैं समझता हूँ।

आँखों में तिरी इक तस्वीर मैं रखता हूँ,
राह-ए-इश्क़ में मुसाफ़िर मैं बनता हूँ।

बड़ी शिद्दत से तुझको मैं चाहता हूँ,
लम्हा-लम्हा मोम जैसा मैं पिघलता हूँ।

नाउम्मीद मन में उम्मीद का दीप मैं जलाता हूँ,
बेरुखी को प्यार का एहसास मैं कराता हूँ।

तिनका-तिनका इकट्ठा कर सपनों का घरौंदा मैं बसाता हूँ,
प्रेम की दुनिया में मीरा सा मग्न मैं हो जाता हूँ।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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