दिल के अल्फ़ाज़ मोहब्ब्त के नाम मैं लिखता हूँ,
बात ये है कि तिरे जज़्बात मैं समझता हूँ।
आँखों में तिरी इक तस्वीर मैं रखता हूँ,
राह-ए-इश्क़ में मुसाफ़िर मैं बनता हूँ।
बड़ी शिद्दत से तुझको मैं चाहता हूँ,
लम्हा-लम्हा मोम जैसा मैं पिघलता हूँ।
नाउम्मीद मन में उम्मीद का दीप मैं जलाता हूँ,
बेरुखी को प्यार का एहसास मैं कराता हूँ।
तिनका-तिनका इकट्ठा कर सपनों का घरौंदा मैं बसाता हूँ,
प्रेम की दुनिया में मीरा सा मग्न मैं हो जाता हूँ।
अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)