ख़ुदा जब इम्तिहान लेता है - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन

हाल बन्दों का जान लेता है,
ख़ुदा जब इम्तिहान लेता है!

ख़ौफ़ दुश्मनों का है शायद,
मकां में वो  अमान लेता है!

चीखता  है  सन्नाटा  शहर में,
जान किसकी इंसान लेता है!

ज़मीं पे लड़खड़ाते हैं कदम,
और सर पे आसमान लेता है!

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos