संदेश
माँ - कविता - मेहा अनमोल दुबे
अब केवल स्मृतियों में शेष, जीवन के अन्तर्भाव में निहित, हर लेखनी कि अन्तर्दृष्टि में, अब संसार कुछ नहीं, बस तुम सब जगह शेष हो, गंध और …
माँ - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
माँ का क़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो, अपना फ़र्ज़ भूल ना जाना बचपन याद करो। ममता ने जब छाँव करी जब कड़ी धूप छाई, निज आँचल में छिपा लिया ज…
माँ तो इक संसार है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' | माँ पर दोहे
माँ तो इक संसार है, ममतांचल उद्गार। प्रेम दया करुणा क्षमा, परमधाम सुखसार॥ आज अकेला हूँ पड़ा, माँ ममता बिन शुन्य। छाँव कहाँ स्नेहिल हृद…
माँ की ममता - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आँचल में छुपाकर के अपने, ममता के स्नेह से नहलाती है, पाल पोस अपना जीवन दे, प्रिय सन्तति मनुज बनाती है। करुणामय माँ सुनहर सपने, सन्ता…
मूल चुका ना पाओगे - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी | माँ पर कविता
तुम कितने भी बड़े हो जाओगे, पर मूल ना चुका पाओगे। तुम करो गलतियाँ हज़ार पर माँ की बददुआ, कभी ना पाओगे। माँ ने कितने कष्ट सहे है, तुम्हा…
ममतामयी माँ की आँचल - कविता - विपिन चौबे
मैं अपने छोटे मुख से कैसे करूँ तेरा गुणगान, माँ तेरी ममता की आगे फीका सा लगता भगवान। तूने ही तो हाथ पकड़ कर माँ चलना मुझे सिखाया है, व…
मेरी माँ - कविता - अनूप अंबर
मेरी ख़ुशी में ख़ुश हो जाती, मेरे दर्द पे वो रोती है। माँ जैसा कोई भी नहीं, माँ ममता की मूरत होती है॥ ख़ुद भूखी रहती है पर, वो पहले मुझे …
पुत्र का संदेश - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
ओ चतुर कागा! हमारे गाँव जाना। पुत्र का संदेश उस माँ को सुनाना। मातु से कहना कि उसका सुत कुशल है, याद वो करता उन्हें हर एक पल है। छोड़ द…
बेटी - लघुकथा - डॉ॰ यासमीन मूमल 'यास्मीं'
(ऑल इंडिया अस्पताल का कैंसर वार्ड) याशी - माँ अब कैसी तबियत है? माँ - घबराओं नहीं बेटा बेहतर हूँ। याशी - मगर... माँ मुस्काते हुए पगली …
गँवईयत अच्छी लगी - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी, वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी। ममता भी माँ से थो…
दर्द-ए-नौकरी - कविता - ऋचा तिवारी
हर रोज़ की मुश्किल ये भी है, ये दर्द किसे बतलाए हम। एक मासूम से दिल को कैसे, रोज़ भला बहलाए हम। घर से निकले जब, जानें को, वो हाथ पकड़, य…
माँ - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
ज़िंदगी के अहसास में वो हर वक्त रहती, कभी सीख बनकर कभी याद बनकर। दुनिया में नहीं दूसरी कोई समता, सन्तान से पहले जहाँ जन्म लेती ममता…
माँ का पल्लू - कविता - अमिता राज
माँ के पल्लू में मिलेंगे दाग़ अपने लाल के मुँह से जूठन पोछने के, माँ के पल्लू में मिलेंगे लाल के आँखों से पोछे हुए नेत्रजल के निशान। मा…
माँ - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
काँपती थरथराती कलम मेरी माँ पर मैं क्या लिख सकता हूँ? जिसने मुझे लिखा उस माँ को मैं भला कौन सा शब्द दे सकता हूँ। हज़ारों लाखों लोग माँ …
माँ - कविता - शीतल शैलेन्द्र 'देवयानी'
नौ महीने प्यार से कोख में रखकर, जन्म देती है तुझे एक नारी। नारी से फिर माँ बनकर, ख़ुद अपने को धन्य समझती है नारी। न कभी बोझ तुझे समझा न…
अनोखा रिश्ता - कविता - आशी बिवाल
बेगानी ज़िंदगी में एक आस मिल गई, हमें आप क्या मिले? जीने की वजह मिल गई, कल तक थी जो अकेली, वो आज पूरी हो गई, अधूरी सी ज़िंदगी, आज ख़ुशिय…
माँ - कविता - ब्रजेश
माँ प्यार है, दुलार है, ममता की फुहार है। माँ सहेली है, मित्र है, माँ का प्रेम सबसे पवित्र है। माँ लोरी है, छंद है, संगीत है, बच्चे की…
माँ की दुआ का सागर - कविता - बीरेंद्र सिंह अठवाल
माँ तू कहे तो मैं काँटों से गुज़र जाऊँ, माँ तेरे सामने अपनी नज़र झुकाऊँ। माँ इस दुनिया में कोई तेरे जैसा नहीं, माँ तेरी दुआ के आगे चले प…
माँ का प्रेम - कविता - मनस्वी श्रीवास्तव
ना होकर भी जो संग मुझमे निहित साकार है, मेरा रूप रंग मनोवृत्ति सब जो भी आकार है। माँ ही तो अलंकार है मेरे चित्त की चित्रकार है। मन की …
कर माँ की सेवा - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
ना माँ से बढ़के है जग में कोई। सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।। तेरे लिए कष्ट उठाती है माँ, तुझे दुनिया में लाती है माँ, तुझे अपना दूध प…
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