ब्रजेश - पटना (बिहार)
माँ - कविता - ब्रजेश
बुधवार, जनवरी 19, 2022
माँ प्यार है, दुलार है,
ममता की फुहार है।
माँ सहेली है, मित्र है,
माँ का प्रेम सबसे पवित्र है।
माँ लोरी है, छंद है, संगीत है,
बच्चे की सबसे प्रिय मीत है।
माँ कड़कती धुप में शीतल छाँव है,
ठिठुरती सर्दी में गर्म अलाव है।
माँ ईश्वर का स्पर्श है,
बाल ह्रदय का हर्ष है।
माँ मीठा सा झरना है,
ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना है।
माँ त्याग है, पूजा है, अर्चना है,
बच्चों का सबसे सुन्दर सपना है।
माँ करुणा का सागर है,
अमृत से भरा गागर है।
माँ बच्चों का ज़मीं-आसमाँ है,
उसके जैसा और कोई कहाँ है?
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