संदेश
परिभाषा नारी कठिन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
परिभाषा नारी कठिन, महिमा कठिन बखान। हे अम्बा धरणी जयतु, कठिन मातु सम्मान॥ लज्जा श्रद्धा मातृका, ममतांचल संसार। क्षमा दया करुणा हृदय…
मॉं की दुआ - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
उस आँगन में रहे ना कभी, सुख-समृद्धि का अभाव। फलीभूत रहता है जबतक, माँ की दुआओं का प्रभाव। जन्मदात्री की आज्ञा का, जिस घर में हो अनुपाल…
मेरी माँ - कविता - आर॰ सी॰ यादव
अमिट प्रेम की पीयूष निर्झर, क्षमा दया की सरिता हो। गीत ग़ज़ल चौपाई तुम हो, मेरे मन की कविता हो॥ ऋद्धि सिद्धि तुम आदिशक्ति हो, ज्ञानदाय…
माँ - नवगीत - सुशील शर्मा
तेज़ धूप में बरगद जैसी छाया माँ। झुर्री वाली प्यारी प्यारी काया माँ। मेरे मानस की लहरी में, सदा सुहागन मेरी माँ। मेरी जीवन शैली में, सु…
स्नेह भरे आँचल में माते - गीत - उमेश यादव
कष्टों से व्याकुल मेरा मन, पीड़ा से जब भरता है। स्नेह भरे आँचल में माते, छुपने को मन करता है॥ जब भी विपदा आई मुझपर, तूने हमें बचाया है।…
अम्मा कहो! - कविता - ऋचा सिंह
जिसने बैठाई तुरपाई हर टूटे रिश्ते में झुककर बात बनाई घिसते छूटे रिश्तों में, अम्मा कहो! कैसे इतना धीर दिखाया? कैसे ऐसा किरदार बनाया? …
वही तो मेरी माता है - कविता - सुनील गुप्ता
ममता की आँचल में जिसने, छुपा कर मुझको पाला है, असीम विपत्तियाँ सहकर भी, मेरे जीवन को संभाला है, दुःख भी जिनके सामने आकर, अपना सर झुकात…
काठ का कलेजा - कविता - संजय राजभर 'समित'
एकदम सून्न सी लाचार बदनसीब एक माँ अपने तेरह साल के बच्चे को परदेश जाते हुए देख रही थी सरपट दौड़ती गाड़ी ओझल हो गई फिर भी ताक रही थी सो…
लौट आओ माँ - कविता - राजेश 'राज'
शून्य में टिक गईं सजल उदास आँखें, दिल में उठी एक वेदनापूर्ण टीस, घर जाने की उत्सुकता भी थक सी गई है, क्योंकि– जिन्हें था हर पल बेटे का…
अब तो आराम करो माँ - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
गीत गाती लोरी सुनाती, साहित्यिक थाप से मुझे सुलाती, अवधी, गोंड, गाँव-डगर, खान-पान व्रत उपवास सिखाती, खेतों पर अन्न का दाना लाने, बैल…
माँ - कविता - रमेश चन्द्र यादव
घर पर शादी की तैयारी, सर पर आया कारज भारी। नेक सलाह हर पल दे मुझको, माँ दे दो कोई आज उधारी॥ पकड़ उँगली जिसकी मैंने, पग घरती पर रखना सीख…
माँ देवकी की वेदना - कविता - शालिनी तिवारी
देवकी के सुन नैनों में फिर उठी, हुक कान्हा के दरस की, एक बार दिखला दे कोई झलक, एक हर बीते बरस की। पहले उसकी मुस्कान थी कैसी, कैसे आँखो…
माँ - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
माँ को पूजिय रे मना धरि चरनन में शीश। सफल होय जीवन मनुज देहिं ईश आसीस॥ माता की रज माथ धरि बड़े बनत हैं लोग। आशिष ऐसो कवच है भागैं दुःख…
माँ जैसा कोई नहीं - कविता - प्रिती दूबे
तुम सब कुछ कैसे जान लेती हो माँ? बच्चो के दुःख को कैसे पहचान लेती हो माँ? माँ बच्चो को सुलाकर ख़ुद नहीं सोती है, अपने हर शब्दो में दुआ…
सावन और माँ का आँगन - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मुस्कान खिली ऋतु पावस मुख, आनंद मुदित मधु श्रावण है। फुलझड़ियाँ बरखा हर्षित मन, नीड भरा माँ का आँगन है। महके ख़ुशबू बरसात घड़ी, भारत …
माँ की याद - कविता - मेहा अनमोल दुबे
नियम, जपतप में लगे हुए, दिव्य शांत स्वरूपा, मेहा बन फुलों पर सो गई या मौन में सदा के लिए तल्लीन हो गई, दृष्टिकोण में तो सब जगह हो गई…
माँ स्वयं में संसार है - कविता - संजय राजभर 'समित'
एक माँ अपनों बच्चों के लिए एक सुरक्षा कवच है, ममता की धारा माँ और बच्चे दोनों को आजीवन सींचती रहती हैं एक असीम आनंद की अनुभूति एक माँ …
रोते दोनों सारी रात - कविता - राहुल भारद्वाज
कैसे भूल सकूँगा मैं, वह काली-काली अंधियारी रात। बहा ले गई जो मेरा गुलशन, कैसी थी वो काली रात॥ माँ का सर पर आँचल था, महका करता आँचल था।…
मेरा दुःख मेरा दीपक है - कविता - गोलेन्द्र पटेल
जब मैं अपने माँ के गर्भ में था वह ढोती रही ईंट जब मेरा जन्म हुआ वह ढोती रही ईंट जब मैं दुधमुँहा शिशु था वह अपनी पीठ पर मुझे और सर पर …
माँ - कविता - संजय राजभर 'समित'
एक दिन मैं अपनी माँ से पूछा “माँ मेरे न रहने पर तेरी बहू कैसा व्यवहार करती है?” माँ चुप थी तब मैं सब समझ गया माँ यदि सच बोलेगी …