कर माँ की सेवा - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार

ना माँ से बढ़के है जग में कोई।
सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।।

तेरे लिए कष्ट उठाती है माँ, तुझे दुनिया में लाती है माँ,
तुझे अपना दूध पिलाती है माँ, लोरी सुना के सुलाती है माँ,
जिमाती है माँ, तुझे बना रसोई।
सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।।

माँ से बढ़के ना तेरा हितेषी, ममता ना जग में माँ कैसी,
मत मांने समझिए ऐसी-वैसी, करै दुश्मन की माँ ऐसी-तैसी
हस्ती माँ जैसी, ना मिले रे टोही।
सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।।

पूत-कपूत तो हो जाता, पर माता ना होती कुमाता,
जब दुनिया लेती तोड़ नाता, माँ का आँचल प्यार लुटाता,
है सताता माँ को, क्यों ओ निर्मोही।
सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।।

समुन्द्र सिंह कर माँ की सेवा, मिल जाए मन चाही मेवा,
माँ बिन सुध तेरी कोन है लेवा, माँ ही लगाए पार ये खेवा,
ख़ुश सारे देवा, ख़ुश माँ जो होई।
सेवा कर दिल से जगे क़िस्मत सोई।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos