संदेश
सावन मास - दोहा छंद - विशाल भारद्वाज "वैधविक"
कृपा हो महाकाल की, जन मानुष के साथ। अब कोरोना ख़त्म हो, कोई न हो अनाथ।। आते काशी घाट पर, नित दिन जन समुदाय। चाह स्वर्ग की रख सभी, करते …
राष्ट्र धर्म चहुँ प्रगति में - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
मानवता सबसे बड़ा, सभी धर्म का मंत्र। रहें प्रेम सद्भाव से, जनहित में हो तंत्र।। रख विचार सद्भाव से, दें मनभाव विनीत। वाणी हो वश संयमित…
समरसता मुस्कान जग - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आज फँसा मँझधार में, सत्य मीत अरु प्रीत। लोभ अनल में जल रहा, समरसता संगीत।। मीशन था अंबेडकर, समरसता संदेश। समता ही स्वाधीनता, दलित हरि…
गुरू बिन ज्ञान कहाँ - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
ज्ञान नहीं गुरु के बिना, जाने सकल जहान। जो गुरु का आदर करे, मानव वही महान।। मात पिता पैदा किए, गुरु देते हैं ज्ञान। भगवन के समतुल्य ह…
उपहार - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बने सेतु ख़ुशियाँ मनुज, करें प्रकृति सुखसार। खिले सुमन सुरभित वतन, रोपण तरु उपहार।। आत्म मनुज सौन्दर्य ही, जीवन का उपहार। सुरभि हीन किं…
शब्द - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
शब्द नाम ही ब्रह्म है, शब्द नाम ओंकार। रचे शब्द में वेद हैं, शब्दों में ही सार।। शब्दों का संसार है, शब्दों से साहित्य। शब्दों की पू…
राधामाधव प्रीत मन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
राधा माधव प्रीत मन, बसो हृदय गोपाल। मनमोहन मधुवन मुदित, मोरमुकुट शुभ भाल।। हर्षित मन मधु माधवी, नंदलाल अभिराम। बरसी सावन की घटा, भींग…
घर आँगन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
घर आँगन सुन्दर सजे, मिल जुल नित सहयोग। त्याग शील पौरुष सुभग, नीति प्रीति बिन रोग।। खिले कुसुम घर प्रगति के, आँगन भारत देश। सुखद शान्ति…
तम्बाकू जीवन ज़हर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
लत तम्बाकू ज़िंदगी, नशा बहुत विकराल। पी बीड़ी सिगरेट को, खा खैनी बदहाल।। तम्बाकू की आदतें, करे मौत आग़ाज़। कैंसर टी.बी. का जनक, दुश्मन मनु…
प्रकृति और मानव - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
समय बहुत विपरीत है, बुरा सभी का हाल। सावधानी रखो सभी, चलो सभलकर चाल।। इक दूजे की मदद ही, हो मानव का कर्म। कोरोना बन घूमता, आज मनुज क…
क्षमा - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
क्षमा मनुज भूषण जगत, है प्रतीक आचार। त्याग शील गुण कर्म पथ, धवलकीर्ति आधार।। क्षमाशील पौरुष सबल, जीवन में नित जीत। शरणागतवत्सल वही, क्…
जीवन के जो पल मिले - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीत हार सुख आपदा, जीवन की है रीत। जीवन के जो पल मिले, रचो उसे नवनीत।। काल चक्र विधिलेख से, परिचालित संसार। उत्तम पथ यायावरित, चलो धर्म…
विरह मिलन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
विरह वेदना सब सहे, मिलन प्रीत अभिलास। मनहर कविता कामिनी, सावन मन आभास।। विरह देख पूछी उमा, बोलो शिव परमेश। ग़ज़ब विरह कवि लेखिनी, करो मि…
समझ वक़्त बदलाव नित - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मूल्यवान जीवन समय, कर पौरुष धर्मार्थ। प्रीति रीति सद्नीति पथ, करो त्याग परमार्थ।। इन्तज़ार करता नहीं, वक़्त चक्र गतिमान। कर जीवन उपयोग न…
ताउते तूफ़ान क़हर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जाने कैसा समय यह, नित्य नया तूफ़ान। रे मानव अब भी समझ, मानो प्रकृति महान।। मानो सत्ता प्रकृति की, तजो स्वार्थ मद मोह। मन निसर्ग विनती क…
मातु हृदय अभिराम - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
माँ के शोणित में सना, मातृ उदर है जात। पान क्षीर अरु नेह नीर, मिला धरा सौगात।। ममता की छाया तले, अमन सुधा सुख चैन। अनाथ आज मातु बिना,…
माँ - दोहा छंद - महेन्द्र सिंह राज
माता सम कोई नहीं, कर लो माँ को याद। बिन माँ के सुनता नहीं, कोई भी फ़रियाद।। माता रखती गर्भ में, बच्चों को नौ माह। शिशू जनम में मातु …
चलो लगाएँ वृक्ष हम - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
ख़ुद जीवन का रिपु मनुज, खड़े मौत आग़ाज़। बिन मौसम छाई घटा, वायु प्रदूषित आज।। भागमभागी ज़िंदगी, बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती ज़िंदगी, वाहन बढ़ते…
तीर्थंकर को नमन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सत्य अहिंसा प्रीति पथ, महावीर आचार। तीर्थंकर चौबीसवाँ, करुणा का अवतार।। दया क्षमा परमार्थ ही, है जीवन का सार। करें प्रीति सुष्मित प्रक…
फँस मयंक नवप्रीति में - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
खिले पूर्ण नित चन्द्रिका, पूनम रात मयंक। रोग शोक से मुक्त जग, कुसमित पुष्प शशांक।। सोम सरस मधुपान से, हो जीवन आनंद। निशि कोमल सम हृद…
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