तम्बाकू जीवन ज़हर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

लत तम्बाकू ज़िंदगी, नशा बहुत विकराल।
पी बीड़ी सिगरेट को, खा खैनी बदहाल।।

तम्बाकू की आदतें, करे मौत आग़ाज़।
कैंसर टी.बी. का जनक, दुश्मन मनुज समाज।।

तम्बाकू गाँजा चरस, ड्रग अफ़ीम ये रोग।
शाराबी कामी नशा, समझ मूल दुर्योग।।

तम्बाकू सेवन बना, हेतु शान सम्मान।
दे न्यौता ख़ुद मौत को, नशा-बाज़ शमशान।।

तम्बाकू युवजन वतन, बना आज यह प्रीत।
करे नाश ख़ुद ज़िंदगी, माने जीवन मीत।।

गैर क़ानूनी देश में, तम्बाकू उपयोग।
पर निर्भय जनता यहाँ, करे नशा का भोग।।

तम्बाकू ऐसी नशा, भिक्षाटन बन रोग।
खैनी बीड़ी माँगते, आते जाते लोग।।

बढ़े बुद्धि पौरुष मनुज, जोश बढ़े इन्सान।
तम्बाकू जीवन ज़हर, कारण है अवसान।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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