क्षमा - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

क्षमा मनुज भूषण जगत, है प्रतीक आचार।
त्याग शील गुण कर्म पथ, धवलकीर्ति आधार।।

क्षमाशील पौरुष सबल, जीवन में नित जीत।
शरणागतवत्सल वही, क्षमावीर जगमीत।।

प्रीति रीति करुणा दया, नैतिकता आधार।
क्षमा सत्य सुन्दर शिवम, मानवता उपहार।।

क्षमा खड्ग नित रण बने, सत्य बने नित ढाल।
प्रीत बने रथ सारथी, विजय तिलक हो भाल।।

क्षमा सबल दिव्यास्त्र जग, वश में हो संसार।
प्राणदान संजीविनी, महिमा अपरम्पार।।

शत्रुंजय योद्धा क्षमा, नित मधुरिम संगीत।
नयी ज्योति सद्भाव पथ, परमारथ शुभ नीत।।

क्षमाशील हो वह मनुज, सत्पथ चले विनीत।
मृत्युदंड पापी खली, लोभी काम कुमीत।।

कवि "निकुंज" विरुदावली, गाए मंगल गान।
क्षमा दान उत्तम विजय, मानवता सम्मान।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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