माँ के शोणित में सना, मातृ उदर है जात।
पान क्षीर अरु नेह नीर, मिला धरा सौगात।।
ममता की छाया तले, अमन सुधा सुख चैन।
अनाथ आज मातु बिना, तरस रहे हैं नैन।।
वर्धापन उन मित्र का, अंबे तेरा साथ।
स्नेह सरित पावन हृदय, मातु शिरसि हो हाथ।।
अति विशाल वसुधा समा, रत्नाकर सम नेह।
मातु हृदय आकाश सम, परम शान्ति का गेह।।
सादर नमन श्रद्धांजलि, सुखी रहो परलोक।
अश्रुपूर्ण असहाय मैं, अम्ब पड़ा हूँ शोक।।
जन्म जन्म तक ऋणी मैं, आँचल माँ सुखधाम।
कहाँ मिले विश्राम अब, मातु हृदय अभिराम।।
सही क्लेश हर विपद को, अर्पित जीवन पूत।
तनिक खरोंच सह न सकी, देख वेदना सूत।।
माँ तेरा गुणगान जब, अक्षम गणेश व व्यास।
मैं अबोध कैसे करुँ, तव करुणा अहसास।।
भरी नैन स्नेहाश्रु से, क्षीरोदर मृदु भाव।
सकल मनोरथ ज़िंदगी, स्वार्थहीन बन छाँव।।
कवि निकुंज निःशब्द है, मातु बिना हत तेज़।
जननी का आँचल विरत, नेह हीन है सेज।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली