ज्ञान नहीं गुरु के बिना, जाने सकल जहान।
जो गुरु का आदर करे, मानव वही महान।।
मात पिता पैदा किए, गुरु देते हैं ज्ञान।
भगवन के समतुल्य ही, गुरु का दर्जा मान।।
गुरु की सेवा जो किया, पाया ज्ञान विशेष।
यही सनातन धर्म का, आदि ज्ञान उपदेश।।
अवहेलित गुरु को करें, बहुत बडा़ है पाप।
ऐसा जिसने भी किया, मिला भयानक शाप।।
तुलसी सूर कबीर ने, लिखा गुरू के गान।
केशव ने भी यह कहा, गुरु है बहुत महान।।
प्रथम गुरू माता बनी, दूजा पितु को मान।
तृतिय गुरू परिजन रहें, चौथा शिक्षक जान।।
सर्वश्रेष्ठ गुरु ज्ञान है, जिसको साधें लोग।
इसी ज्ञान की साधना, करें यती तज भोग।।
महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)