तीर्थंकर को नमन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

सत्य अहिंसा प्रीति पथ, महावीर आचार।
तीर्थंकर चौबीसवाँ, करुणा का अवतार।।

दया क्षमा परमार्थ ही, है जीवन का सार।
करें प्रीति सुष्मित प्रकृति, हो जीवन उद्धार।।

क्षिति जल नभ पावक पवन, नाशवान यह गात्र।
पर पीड़ा मोचक बने, जीवन सफल सुपात्र।।

विनत भाव सादर नमन, तीर्थंकर अभिराम।
बना दिगम्बर चल पड़ा, जगत शान्ति पैगाम।।

परहित में रत ज़िंदगी, धर्म नीति सम्मान। 
जीया जग कल्याण में, महावीर भगवान।।

भौतिक सुख सब संपदा, नश्वर है संसार।
सत्य न्याय सन्मार्ग ही, जीवन का आधार।।

मानवता सबसे बड़ा, रक्षण जीवन मूल।
नीति प्रीति पथ सारथी, हो जीवन अनुकूल।।

रोग शोक परिताप जग, लोभ कपट धन मोह।
सबका कारण मनुज ख़ुद, होता पथ अवरोह।।

कोरोना ऐसा कहर, मचा मौत का शोक। 
करो शमन इस व्याधि का, दो जीवन आलोक।।

स्वार्थ लीन मानव जगत, खो जीवन अनमोल।
वर्धमान भगवान दो, शान्ति प्रेम रस घोल।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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