संदेश
वैसाखी नवरात्र दे - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आज चैत्र नवरात्र शुभ, विक्रम संवत हर्ष। वैसाखी पावन दिवस, हिन्दू नूतन वर्ष।। नवल फ़सल हरितिम धरा, मुदित आज परिवेश। दीन धनी सब हैं सुखी,…
डॉ. भीमराव अम्बेदकर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बदला मानक दलित का, साररस्वत व्यक्तित्व। बाबा साहब बुद्धि बल, भीमराव अस्तित्व।। मिली वतन स्वाधीनता, बना नहीं गणतन्त्र। संविधान निर्माण …
माँ के शुभ नौ रूप - दोहा छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
नव संवत्सर आ गया, लेकर नव उत्कर्ष। मंगलमय हो शुभ सदा, भारतीय नव वर्ष।। फसलें सुख समृद्धि का, गातीं मधुरिम गान। भरे अन्न भण्डार अब, प्र…
मनुज देह सौभाग्य - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
पंच प्राण धारक जगत, पंचतत्त्व का देह। अहर्निशा सुख दुःख सम, परहित जग हो श्रेय।। लावण्य रूप तनु चारुतम, जन्मा पूत कुलीन। कर्म शील वि…
स्वागत हो चैत्र नवरात्र का - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
चैत्र शुक्ल है प्रतिपदा, सनातनी नववर्ष। पूजन कर नवरात्र में, कीर्ति मिले सुख हर्ष।। अभिनन्दन स्वागत करें, मिलें हिन्दू समाज। परिधावी …
जल ही जीवन है - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जल से जीवन है जगत, जीवन है आधार। चलो बचाएँ आज मिल, कुदरत इस उपहार।। जल जीवन का संचरण, ईश्वर का वरदान। रखें स्वच्छ निर्मल सलिल, बचे तभी…
परिधान - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
हंसवाहिनी विधिप्रिये, श्वेताम्बर परिधान। शारद सरसिज शारदे, मानवीय दे ज्ञान।। सिहरे तन परिधान लद, आलस कारज देर। ले चपेट निज वृद्धजन, थि…
राष्ट्रशक्ति अभिमान - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरु मानस हो पूत सम, शिष्य बने अभिमान। बिना भेद सब जन सुलभ, ज्ञान मिले वरदान।। जनमन अभिवन्दन सदा, लोकतंत्र अभिमान। संविधान करवा रहा, ल…
होली - दोहा छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
नैना रतनारे हुए, अधर रसीले लाल। छुईमुई गोरी हुई, हुए गुलाबी गाल।। फागुन में हैं फाग के, रचे अनूठे छंद। भ्रमर कली का पी रहे, मंद-मंद मक…
रंगरसिया राधा रमण - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
वंदन पूजन हरि चरण, अर्पण जगदानन्द। राधा नटवर प्रिय मिलन, ब्रज होली आसन्द।।१।। राधा माधव मोहिनी, करूँ रंग शृङ्गार। खेलूँ होली साथ में, …
कविता लेखन है कला - दोहा छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
कविता लेखन है कला, विद्या का उपहार। कविगण करते हैं सदा, इस पर जान निसार।। मन के भीतर भाव हो, कर में कलम दवात। नयन युगल में स्वप्न हो, …
कान्हा राधा मुदित मन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गोरा तन अस्मित वदन, श्याम राधिका देख। वंशीधर माधव मुदित, लक्ष्मी चारु सुलेख।।१।। कान्हा राधा साथ में, बैठे यमुना तीर। कमलनैन राधा नयन,…
बरसो रे बरसात - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
दावानल है दहक रहा, भू जलती दिन रात। नील गगन छाई घटा, बूँद बूँद बरसात।।१।। मन मयूर नर्तन कृषक, देख घटा नीलाभ। सलिल बिन्दु रिमझिम धरा, न…
है अबोध यह बालपन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
है अबोध यह बालपन, निश्छल निर्मल चित्त। चपल प्रकृति कोमल सरल, मधुर स्नेह आवृत्त।।१।। खेलकूद कौतुक सहज, भावुक मन उद्गार। मेधावी नित अनुक…
द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तुति - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमनाथ सौराष्ट्र में, करुणाकर अवतार। चारु चन्द्र धर शिखर शिव, गंगाधर संसार।।१।। उच्च शिखर श्रीशैल पर, प्रमुदित देव निवास। पूज्य मल्ल…
बीत गया महिला दिवस - दोहा छंद - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
शोर-शराबा थम गया, शांत हुआ परिवेश। बीत गया महिला दिवस, जश्न हुआ अब शेष। सम्मानों की साज से, सजी नारियाँ खूब। एक दिवस ख़ातिर सही, गई जश्…
पैसों की बेबसी - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
पैसों का नित जंग है, पैसा ही नवरंग। रिश्ते नाते मान यश, बिन पैसे बदरंग।।१।। पैसे ही ऊँचाइयाँ, पैसे ही सम्मान। पैसों के महफ़िल सजे, पैसा…
देख मुदित मन यामिनी - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कोमल किसलय सरसिजा, महकें सलिल तडाग। देख मुदित मन यामिनी, सजन मिलन अनुराग।।१।। निर्मल निश्छल सलिल सम, प्रीति युगल रसधार। चन्द्र वदन अस्…
बह निकुंज मादक पवन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
इन्द्र पवन मिल सूर्य भी, तपा धरा अतिकुप्त। किया प्रदूषित काट तरु, किया धूप जल लुप्त।।१।। नव जीवन उल्लास बन, सरसों पीत बहार। मंद मंद बह…
संवाद - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
चम्पा और कनेर में, क्या होता संवाद। बैठ पेड़ पिक कूकता, काक करे अनुनाद।।१।। सही नीति सह सोच हो, मानस बिन उन्माद। सदा विनत चल लक्ष्य पथ…
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