कृपा हो महाकाल की, जन मानुष के साथ।
अब कोरोना ख़त्म हो, कोई न हो अनाथ।।
आते काशी घाट पर, नित दिन जन समुदाय।
चाह स्वर्ग की रख सभी, करते यही उपाय।।
आया सावन मास है, लेकर प्रेम बहार।
भोले बाबा प्रेम से, करते है उपकार।।
नित सावन जलाभिषेक, करते है जो लोग।
महाकाल की कृपा से, रहते सदा निरोग।।
चार धाम यात्रा करें, बारह ज्योर्तिलिंग।
जीवन हो जाए सफल, पूजे जो शिवलिंग।।
रहता आतुर मन सदा, जाने को दरबार।
चाहे चारो धाम हो, या होय हरिद्वार।।
गौरी शंकर जी सदा, होते है मनमीत।
चाहे कलयुग घोर हो, करिए कर्म पुनीत।।
विशाल भारद्वाज "वैधविक" - बरेली (उत्तर प्रदेश)