संदेश
घात - कविता - संजय राजभर 'समित'
किसी भी विषय पर ज्ञानी होना अच्छी बात है पर ज्ञानी होकर मौन रहना सबसे घात है और कम ज्ञानी मुखरित होकर यदि लड़ रहा है तो वह असली योद्धा…
अश्रुमय जीवन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आज कल मन बहुत उदास है! शायद! कुछ भी नहीं मेरे पास है। दर्द रुलाता है, ऑंखें भर आती हैं, उदासी फिर भी नहीं जाती है। सपनें नहीं टूटे, टू…
मिट्टी और कुर्सी - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
मिट्टी का ये मुझ सा गुड़ बदन भौतिक स्वरूप, मैं समय नहीं हूँ, मिट्टी का एक डला सा हूँ बस जिसे सबने जाना ज़िंदादिल मास्टर कर्मवीर भूप। मिट…
राम सिया का कर अभिनन्दन - गीत - कमल पुरोहित 'अपरिचित'
मन में मत रख प्यारे उलझन राम सिया का कर अभिनन्दन कौशल्या के राज दुलारे सौम्य मधुर लगते हैं प्यारे दशरथ के हैं पहले नंदन माथे पर जिन…
लोहड़ी और बदलता मौसम - कविता - गणेश भारद्वाज
हर मन में नव उल्लास भरा, लो आया पर्व मिठास भरा। सब दुल्ला भट्टी याद करें, हर रिश्ता हो विश्वास भरा। घर-घर में तिल, गुड़ संगम है, हर मा…
मकर संक्रांति - गीत - उमेश यादव
संक्रांति का पर्व है पावन, सबके मन को भाता है। पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, बीहू, मकर संक्रांति कहलाता है॥ मकर राशि में जाकर सूरज, उत्तरायण ह…
खिचड़ी - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
खिचड़ी का अर्थ है एकता ये है अनेकता में एकता खिचड़ी का अर्थ है प्यार ये सादगी का अद्भुत त्यौहार सामंजस्य भी है इसका अर्थ मितव्ययिता भी ह…
मकर संक्रांति - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आज हुआ किसान फिर धरा मुदित, नवान्न फ़सल कटाई होती है। फिर जले अलाव लोहड़ी उत्सव, बाली गेहूँ आग दी जाती है। ख़ुशियाँ लेकर आई लोहड़ी, प्रम…
नि:शब्द - कविता - गौरव कुमार
आज वर्षों बाद मैं घर लौटा... माँ और बड़े लोगों से मिलकर अच्छा लगा। ख़ुशी इस बात की भी थी कि दिल की सारी बातें उसे कह पाऊँगा। उसे देखने …
जय बोलें श्रीराम की - गीत - उमेश यादव
आओ सब मिल महिमा गाएँ, जननायक श्रीराम की। राम तत्त्व मन में विकसाएँ, जय बोलें श्रीराम की॥ राज पाट को छोड़ा प्रभु ने, कानन को स्वीकार किय…
अमलतास के फूल - कविता - इमरान खान
अमलतास के फूलों पर खिल उठे है इंद्रधनुष! बादल घिर आए है, समुंद्र की सुनहरी धूप में! और दूर तक फैली दिखाई देती है, कोहरे की सपाट सड़क! …
जो जाता है उसे जाने दो - कविता - गणेश भारद्वाज
जो बीत गया सो बीत गया, अब बीता वक्त भुलाने दो। जीवन है आशा का दीपक, जो छोड़ गया उसे जाने दो। बीते से जो सीखा मैंने, नव क्यारी में उपजा…
आश - कविता - वृन्दा सोलंकी
तारे देखो अँधेरी रात के उन्हें पता है अँधेरा है पास में फिर भी वो चमकते है उजाला देने की आश में फूलो को देखो बाग़ में मुरझा जाएँगे समय …
अपराध बोध की व्यथा - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
पिटे जाने की ग्लानि अपराध-बोध की व्यथा; पुरे माहौल को पीड़ा से भर देती है सुख की मटमैली चादर पूरे वजूद को जकड़ लेता है ज़ंजीर की तरह जीने…
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
क्या ख़ूब सजा क्या ख़ूब सजा क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो अब अपने श्री राम का। सब जन लेकर साथ चले जो उन कर्मो के काम का॥ क्या ख़ूब सजा, अब अपने…
राम जी अवध में आए - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
राम जी अवध में आए आज झूमो गाओ रे, होली दिवाली आज संग-संग मनाओ रे। दिल के दिये आज दिल से जला दो रे, चारों ओर रोशनी से अँगना सजा दो रे। …
कृष्ण अर्जुन संवाद - कविता - सुनील गुप्ता
युद्ध में अपनों को देख, अर्जुन का गाण्डीव थम गया, बालक की भाँति रोता देख, सारा पांडव दल सहम गया। लड़खड़ाते पैरों के सहारे, रथ पर वह वि…
अस्मिता - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
कौन हो बे तुम? पसमांदा मुसलमान हैं साहब अबे कौन सी जात से हो अन्सारी हैं साहब ओह्ह... जुलाहा हो! जी साहब। आपके तन को ढँकने वाला मेहनत…
चमेली - कहानी - भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया
एक छोटे से शहर के एक सरकारी दफ़्तर में एक कोने में एक बेंच पर एक 60 वर्षीय बूढ़ा व्यक्ति रामलाल किसी चिंता में ध्यानमग्न सा बैठा था। उस…
बोलो जय श्री राम - गीत - सुशील कुमार
मर्यादा पुरुषोत्तम आए देखो अपने धाम सब जन मिलकर बोलो जय श्री राम दुल्हन जैसी सजी अयोध्या दर्शन को ललसाई राम मिलन की पावन बेला सदियों …
प्रेम के रूप अनेक - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
लेकर हाथ चाय का प्याला, खड़ी नारि सुकुमारि। खन-खन बाजे चूड़ी कंगन, पद पैजनि झंकारि॥ कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ, बाजु बंद सरकार। नाक नथु…
गाँव - कविता - संजय राजभर 'समित'
शाम होते ही अँधेरा छा जाता था कच्ची सड़कें बरसात में चलना मुश्किल होता था रात में उमस और मच्छर खाने के लाले फटे पुराने कपड़े रिसता छप्…
आतुर हृदय - कविता - प्रवीन 'पथिक'
फिर एक कसक उठी है; हृदय के किसी कोने से। कब आओगे मुझसे मिलने? आलिंगन में भरने को। शांत पड़ गया था अंधड़, डूब गया ख़ामोशी के साए में। प…
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