क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो - गीत - महेश कुमार हरियाणवी

क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो - गीत - महेश कुमार हरियाणवी | Ayodhya Kavita - Kya Khoob Sajaa Mandir Dekho. Ram Mandir Ayodhya Poetry. राम मंदिर अयोध्या पर गीत
क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो
अब अपने श्री राम का।
सब जन लेकर साथ चले जो
उन कर्मो के काम का॥

क्या ख़ूब सजा,
अब अपने श्री राम का।
जी, अपने श्री राम का।
क्या ख़ूब सजा...

ख़ुशियों की आती लहरें हैं
मेरे राम अयोध्या ठहरे हैं।
सब दर्शन के अभिलाषी हैं
मिट गई हर एक उदासी है।

भक्त भाव से पूजा करते
श्रद्धा के सम्मान का॥

क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो
अब अपने श्री राम का।
सब जन लेकर साथ चले जो
उन कर्मो के काम का॥

जात-धर्म का भेद नहीं है
रब की वाणी वेद यही है।
राम ही अंबर राम सकल हैं
राम धरा हैं, धरा पे जल है।

जीव जगत का पालन करते
दुख हरते इंसान का॥

क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो
अब अपने श्री राम का।
सब जन लेकर साथ चले जो
उन कर्मो के काम का॥

रामायण मार्ग दिखलाएँ
दानव से मानव टकराएँ।
इंसानी वो रूप निराला
भय पे भारी देख उजाला।

देवलोक भी पूजा करता
वंदन हो भगवान का॥

क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा
क्या ख़ूब सजा मंदिर देखो
अब अपने श्री राम का।
सब जन लेकर साथ चले जो
उन कर्मो के काम का॥


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