लेकर हाथ चाय का प्याला,
खड़ी नारि सुकुमारि।
खन-खन बाजे चूड़ी कंगन,
पद पैजनि झंकारि॥
कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ,
बाजु बंद सरकार।
नाक नथुनियाँ प्यार उडेले,
दिलों झूमता प्यार॥
मंद-मंद मुस्कान बिखेरे,
हैं कजरारे नैन।
बोलति मुख से फूल बिखेरति,
मीठ-मीठ हैं बैन॥
ठंड बहुत है काँपति तनवा,
दिल बिच बोलति मोर।
पिया मिलन की बाट जोहती,
आशातीत चकोर॥
दिल बिच छूटे मित्र कपकपी,
माघ माह की भोर।
चाह-चाह में करें पूर्वज,
बैठि बगलिया शोर॥
आओ मित्रो पोर जलाई,
सेंकी सब-जन हाँथ।
बाबा-दादी ओढ़ रजाई,
निभा रहे हैं साथ॥
पति-पत्नी हाथों को थामें,
दिल में भरकर प्यार।
प्रेम प्यार मनुहार झुलाएँ,
घर आँगन संसार॥
भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)