भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)
प्रेम के रूप अनेक - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
रविवार, जनवरी 07, 2024
लेकर हाथ चाय का प्याला,
खड़ी नारि सुकुमारि।
खन-खन बाजे चूड़ी कंगन,
पद पैजनि झंकारि॥
कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ,
बाजु बंद सरकार।
नाक नथुनियाँ प्यार उडेले,
दिलों झूमता प्यार॥
मंद-मंद मुस्कान बिखेरे,
हैं कजरारे नैन।
बोलति मुख से फूल बिखेरति,
मीठ-मीठ हैं बैन॥
ठंड बहुत है काँपति तनवा,
दिल बिच बोलति मोर।
पिया मिलन की बाट जोहती,
आशातीत चकोर॥
दिल बिच छूटे मित्र कपकपी,
माघ माह की भोर।
चाह-चाह में करें पूर्वज,
बैठि बगलिया शोर॥
आओ मित्रो पोर जलाई,
सेंकी सब-जन हाँथ।
बाबा-दादी ओढ़ रजाई,
निभा रहे हैं साथ॥
पति-पत्नी हाथों को थामें,
दिल में भरकर प्यार।
प्रेम प्यार मनुहार झुलाएँ,
घर आँगन संसार॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर