संदेश
पेड़ - कविता - गोपाल जी वर्मा
हरे पेड़, भरे पेड़, आँधी तूफ़ान से, लड़े पेड़। धूप में छाँव देने को, खड़े पेड़। फल-फूल देने के लिए, सजे पेड़। झूला झूलने के लिए, निभे पे…
विश्वकर्मा - कविता - रतन कुमार अगरवाला
जग का किया निर्माण जिन्होंने, करता हूँ मैं आज उन्हे प्रणाम। दुःख संसार के हर लिए जिन्होंने, सुखी वसुंधरा का किया निर्माण। विश्व निर्मा…
जय हो विश्वकर्मा भगवान की - कविता - अभिषेक विश्वकर्मा
बोलो जय विश्वकर्मा भगवान की, इस जगत के देव महान की, जय हो विश्वकर्मा भगवान की। इस सृष्टि के निर्माता तुम हो, हर विपदा से हमें उबारे, स…
नारी - गीतिका - अर्चना बाजपेयी
आँसू पीकर बनी सिंहनी, सदा पिलाया जग को क्षीर। बेचारी मत समझो मुझको, हूँ गुलाब पर देती चीर।। दिए राष्ट्र को भगत बटेश्वर, गाँधी और वीर आ…
पाँच दिनों का आगमन - लेख - अभिजीत कुमार सिंह
मैं कोई चिकित्सक नहीं हूँ ना ही मेरा दूर-दूर तक वैद्यक-संबंधित क्षेत्रों से नाता है किन्तु इस समाज का एक साधारण हिस्सा हूँ वो भी पुरुष…
सूना-सूना लगता है - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तेरे बिन घर अपना ये, सूना-सूना लगता है। फूलों ने खिलना छोड़ दिया, भौरों ने भी मुख मोड़ लिया। पौधे बिन जल के सूख गए, सबने निज बंधन तोड़…
मुझको याद है - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 212 वह पुराना गीत मुझको याद है, जो रहा दिल मे सदा आबाद है। देख मुझको फ़िक्र में कहता …
देश का मान बढ़ाती हिंदी - गीत - रमाकांत सोनी
गौरव गान सिखाती हिंदी, राष्ट्रप्रेम जगाती हिंदी। राष्ट्र धारा बन बहती, देश का मान बढ़ाती हिंदी। देश का सम्मान हिंदी, वंदे मातरम गान …
हिंदी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
हिंदी है हिंद की पहचान, है यह हिंद का गौरव। हिंदी हिंद की राष्ट्रभाषा, भाषा यह बड़ी ही सौरभ। हिंदी से मिलता अपनापन, कुछ अपना अपना सा ल…
हिन्दी भाषा: दशा और दिशा - कविता - सीमा वर्णिका
हिंदी भाषा की आज दशा और दिशा, ज्यों दिवस संग मिश्रित हो जाए निशा। विविध देशज विदेशज भाषा का मेल, भाषा की ऐसी विकृति नहीं देती तिशा।। द…
हिंदी को अपनाओ जी - कविता - सौरभ तिवारी
जिसके मीठे बोलों से, दिल की दूरी मिट जाती हो। जिससे अक्षर-अक्षर से, मिट्टी की ख़ुशबू आती हो। औरों की बोली क्या रटना, अपनी को गले लगाओ ज…
हिन्दी - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
हिन्दी है इक प्यारी भाषा, मेरे हिंदुस्तान की। बड़ी सरल है मेरे बच्चों, भारत देश महान की।। नजमा बोले, राखी बोले, और बोलते सुखविंदर। जॉन,…
हिंदी मेरी कुंकुम चंदन - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भाषा अक्षत का पावन कण हिंदी मेरी कुंकुम चंदन। बनो सारथी, बढ़े विश्व-पथ हिंदी भाषा का स्यन्दन। आखर-आखर कालजयी हो करता रहे प्रीति वर्षण।…
हिंदी हमारे हिन्द की शान है - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी
हिंदी ही हमारी मातृभाषा, हिंदी ही हमारी राष्ट्रभाषा, जननी संस्कृत से लेकर निकली, अपनी नई पहचान है। हिंदी हमारे हिन्द की शान है।। हिंदी…
हिन्दी से हिन्दुस्तान है - कविता - अतुल पाठक 'धैर्य'
संस्कृत से संस्कृति हमारी, हिन्दी से हिन्दुस्तान है। विष्णु सक्सेना और कुमार विश्वास जैसे कवियों ने हिन्दी अपनाकर मान बढ़ाया, हिन्दी का…
हिन्दी ही हिन्दुस्तान है - कविता - सूर्य मणि दूबे 'सूर्य'
हिन्दी ही हिन्दुस्तान है, सरस है सरल है सुगम है, व्याकरण बद्ध सटीक ज्ञान है। परिष्कृत प्रमाणिक भाषा है, हिन्दी भाषाई विज्ञान है। हिन्द…
हिंदी की वीणा - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
झनन-झनन झंकार उठे, सरर सरर सर पवन चले, टप-टप-टप बूँदे गिरे, वसुधा पर अमृत धार पड़े, वीणा की झंकार उठे। वीणा के तारों से सरगम, शब्द-शब्द…
जीवन - कविता - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
जीवन तो चलता रहता है, जल जैसे कल कल बहता है। आते जाते सुख-दुःख हरदम, संसार झमेला लगता है। भीड़ भरी बस्ती औ गलियाँ, ये जग इक मेला लगता …
सत्पथ - कविता - रवि कान्त उपाध्याय
कहो दशरथ! राम भी यदि महत्वकांक्षी हो जाते, तुम्हारे वरदान सारे धरे के धरे रह जाते, तुम्हें पदच्युत कर के राम राजा बन जाते, भरत को कारा…
ज़िन्दगी की सरगम - कविता - अभिषेक विश्वकर्मा
ज़िन्दगी की सरगम पर किसको गाना आया है! जिसने थोड़ी कोशिश की है वही तो कुछ कर पाया है। जीवन एक तरु है जैसे धीरे-धीरे बढ़ना है। सरल, शां…
आदमी होने का सच - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
माना की आज मन हताश है, पर बंजर में भी एक आस है। चला कर तो एक बार देख लो, अपाहिज में चलने की प्यास है। कह कर मुझे मरा क्यों हँसते, यह भ…
ख़ामोशी है पसरी ग़ज़ल रुबाई चुप है - ग़ज़ल - मनीषा श्रीवास्तव 'ज़िंदगी'
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती: 22 22 22 22 22 22 ख़ामोशी है पसरी ग़ज़ल रुबाई चुप है, फ़िज़ा में गूँजती हुई ये तन्हाई चुप…
शिक्षा का उजाला - कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित
नया भारत बनाना है, सबको ही पढाना है। जो अनपढ़ है उनको भी, राहें तो दिखाना है।। वतन अपना तरक़्क़ी तो, तभी ही कर पाएगा। घर घर ज्ञान का दीपक…
श्री गणेश चतुर्थी - दोहा छंद - सरिता श्रीवास्तव 'श्री'
हाथ जोड़ वंदन करूँ, गौरी नन्दन गणेश। दुनिया भव बाधा हरो, हर लो सकल क्लेश।। वक्र तुण्ड महाकाय प्रभू, सर्व देव आदि देव। शुभ कार्य पूजन …
प्रथम पूज्य आराध्य गजानंद - गीत - रमाकांत सोनी
बुद्धि विधाता विघ्नहर्ता, मंगल कारी आनंद करो। गजानंद गौरी सुत प्यारे, प्रभु आय भंडार भरो। प्रथम पूज्य आराध्य गजानंद, हो मूषक असवार। …