ज़िन्दगी की सरगम - कविता - अभिषेक विश्वकर्मा

ज़िन्दगी की सरगम पर
किसको गाना आया है!

जिसने थोड़ी कोशिश की है
वही तो कुछ कर पाया है।
जीवन एक तरु है जैसे
धीरे-धीरे बढ़ना है।
सरल, शांत नदी हो जैसे
धीरे धीरे बहना है।
कोई रोक ना पाया है।।

जीवन है संघर्ष भरा
बहुत कोशिशें करनी है।
कभी कुएँ में जाकर भी
अपनी गगरी भरनी है।
जीवन का दस्तूर यही है
कुछ खोया कुछ पाया है।
और गीत यही बस गाया है।।

अभिषेक विश्वकर्मा - हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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