शिक्षा का उजाला - कविता - डॉ॰ राजेश पुरोहित

नया भारत बनाना है,
सबको ही पढाना है।
जो अनपढ़ है उनको भी,
राहें तो दिखाना है।।

वतन अपना तरक़्क़ी तो,
तभी ही कर पाएगा।
घर घर ज्ञान का दीपक,
जब मन से जलाएगा।।

गीता बाइबिल कुरान,
गुरु ही तो सिखाते हैं।
छिपे गूढ़ रहस्यों को,
गुरु ही तो बताते हैं।।

मिलाते ईश्वर से हमको,
गुरु जो कामिल होते हैं।
सच पूछो तो मुझसे तुम,
गुरु क़ाबिल होते हैं।।

करो सजदा क़दमों में,
और इल्म पा जाओ।
दुआओं से गुरु की तुम,
मंज़िल को पा जाओ।।

डॉ॰ राजेश पुरोहित - भवानीमंडी, झालावाड़ (राजस्थान)

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