प्रथम पूज्य आराध्य गजानंद - गीत - रमाकांत सोनी

बुद्धि विधाता विघ्नहर्ता, मंगल कारी आनंद करो। 
गजानंद गौरी सुत प्यारे, प्रभु आय भंडार भरो।

प्रथम पूज्य आराध्य गजानंद, हो मूषक असवार। 
रिद्धि-सिद्धि संग लेकर आओ, आय भरो भंडार।

गणेश देवा गणेश देवा, जन खड़े जयकार करे। 
लंबोदर दरबार निराला, मोदक छप्पन भोग धरे। 

एकदंत विनायक प्यारे, गुण निधियों के दाता हो। 
सारे संकट दूर हो पल में, कारज मंगल दाता हो।

गौरीसुत गणराज देवा, भोलेनाथ पिता महादेवा। 
अक्षत चंदन रोली श्रीफल, प्रिय लागे मोदक मेवा

मंझधार में अटकी नैया सारे कारज देते सार। 
गजानंद जब बिराजे, ख़ुशियों का लगे अंबार। 

खुल जाए क़िस्मत के ताले, यश वैभव भरे भंडार। 
गजानंद का ध्यान धरे जो, हो जाए सब बेड़ा पार। 

द्वार-द्वार पे ख़ुशहाली हो, सुमति फैले पंख पसार। 
धूप दीप से करें आरती, हो गणेश जय जयकार।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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