हिन्दी - बाल कविता - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

हिन्दी है इक प्यारी भाषा,
मेरे हिंदुस्तान की।
बड़ी सरल है मेरे बच्चों,
भारत देश महान की।।
नजमा बोले, राखी बोले,
और बोलते सुखविंदर।
जॉन, पॉल और मोहन बोले,
भाषा बहुत है सुंदर।।

इतनी प्यारी हिन्दी भाषा,
जन-जन इसको बोले,
मातृ भाषा भी है अपनी,
झूम-झूम कर डोलें।।
सब जन मिलकर हिन्दी का ही
हम परचम लहराएँ।
हिन्दी है समृद्ध हमारी,
हिन्दी को अपनाएँ।।
हिन्दी का वैशिष्ट्य अनूठा
बात समझ जब आएगी।
पूर्ण विश्व मे उच्च पताका,
हिन्दी की लहराएगी।।

डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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