हिंदी हमारे हिन्द की शान है - कविता - डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी

हिंदी ही हमारी मातृभाषा, हिंदी ही हमारी राष्ट्रभाषा,
जननी संस्कृत से लेकर निकली, अपनी नई पहचान है।
हिंदी हमारे हिन्द की शान है।।
हिंदी की लोरी, जैसे बृज की होली।
इसकी सरसता, जैसे मधु में हो घोली।
इसीलिए तो बसते इसमें प्राण हैं।
हिंदी हमारे हिन्द की शान है।।
न इसका कोई अपना पराया है।
हर भाषा का शब्द, इसमें आकर समाया है।
सबको अपना बना लेना, यही तो गुणों की खान है।
हिंदी हमारे हिन्द की शान है।।
लिपि देवनागरी इसने अपनाई।
शायद इसमें है देवों जैसी चतुराई।
सुघड़, स्पष्ट वर्णों का है आकार।
उच्चारण में वैज्ञानिकता का पूर्ण आधार।
इसीलिए विश्व में हो रहा इसका उत्थान है।
हिंदी हमारे हिन्द की शान है।।
हिंदी ने अवधी, बृज, मैथिली को भी दिया मान है।
हिंदी में ही कबीर, तुलसी, मीरा, रैदास, रसखान हैं।
अटलजी और मोदीजी ने विदेशी धरा पर, 
दिया निज भाषा को सम्मान है।
हिन्दीमय हो भारत प्यारा। हिन्दीमय हो जग सारा।
'सत्या' हर भारतवासी का यही अरमान है।
हिंदी हमारे हिन्द की शान है।।

डॉ॰ सत्यनारायण चौधरी - जयपुर (राजस्थान)

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