संदेश
लौट आया कोरोना - कविता - गुड़िया सिंह
सुने हो गए सड़क चौराहे, फिर से, हर तरफ़ ही भय का शोर है, किसकी है, ख़ता यह, किसका यह क़सूर है। छुप गए है लोग घरों में, ख़ुद को क़ैद कर बैठे …
अभिनंदन - गीत - संजय राजभर "समित"
आप आए चँहक उठा हिय, नेह का स्पंदन है। आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।। इतनी खुशियाँ छाई, मेरी आँखें भर आई, प्रेम सहज पगुराई, गीत अध…
वक़्त चला जाएगा - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
वक़्त कैसा भी हो भला कब ठहरा है? अच्छे दिन, सुनहरे पल भी आख़िर खिसक ही जाते हैं, कठिन से कठिन समय भी एक दिन चले ही जाते हैं। माना की हाल…
सुर्ख़ियाँ क्यूँ न हों गुलाबों में - ग़ज़ल - मनजीत भोला
इसलिए ख़ुद हमें जगाता है, नींद की वो दवा पिलाता है। नफ़रतें पालता रहा दिल में, और क़समें वफ़ा की खाता है। सुर्ख़ियाँ क्यूँ न हों गुलाबों मे…
स्वर्णभूमि - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अबकी बार फूलमती के खेत में गेहूँ की लहलहाती फ़सल पूरे वातावरण को सुगंधित कर रही थी, क्योंकि तराई में बसे गाँव भीखमपुर की विधवा फूलमती न…
मेरी हृदय कामना - कविता - अनिल भूषण मिश्र
हे विशाल उदार हृदय महामना, हो चहुँमुखी विकास आपका। ये है मेरी हृदय कामना, ये है मेरी हृदय भावना। थे मेरे कर्म कहीं कुछ अच्छे, कुछ भाव …
ज़रूरी तो नहीं - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
हर कोई एक-सा मिले, यह ज़रूरी तो नहीं। ख़्वाब, ख़्वाब ही रहे, यह लकीर तो नहीं।। हर पल लबो पर रब का नाम हो, यह ज़रूरी तो नहीं। इंसान एक दूजे…
धनुष बाण ले हाथ - कुण्डलिया छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
अभिनंदन प्रभु राम जी, जग के पालन हार। अवध धाम पुनि आइए, राघवेन्द्र सरकार।। राघवेन्द्र सरकार, कृपा भक्तों पर करिए। रोग, शोक, संत्रास, स…
हे राम - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
हे राम तुम आ जाओ ना! त्रेता से कलि है विषम बहुत, आकर मुक्त कराओ ना! बन्धन मे पड़ी लाखों सीताएँ, रावण से कहीं दुस्साहस वाले रावण। अब तो …
गाऊँ राम भजन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रामावतार गीत गाऊँ मैं, जीवन पापों से उद्धार करुँ। श्रीराम नाम अभिराम मनोहर, अन्तर्मन निश्छल अनुनाद करूँ। नित कौशलेय रघुनाथ सुकोमल, दश…
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
मेहँदी भरे रचे हाथ और किये सोलह शृंगार। मन में उथल-पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल।। नाजुक मन है, नाजुक तन है, और है दिल में भाव अपार। …
वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा - ग़ज़ल - कृष्ण गोपाल सोलंकी
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 212 हौसलो से हमारे संवर जाएगा, वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा। है क़हर ये कोर…
अतीत का अंश - कविता - विनय "विनम्र"
कल कोई बचपन मरा है तब खडा है आदमी, वक़्त के अहसान में ज़िंदा पड़ा ये आदमी। क़ब्रे मंज़िलें की फ़क़त निर्माण की भट्टी में तप, किस सिलसिले की फ़…
जग की पीर हरो रघुनंदन - गीत - रमाकांत सोनी
कौशल्या के राज दुलारे, जन जन की आँखों के तारे। तिलक करेंगे लेकर चंदन, जग की पीर हरो रघुनंदन।। आज अवध में आप पधारें, चमक उठे क़िस्मत के …
चंचल - कविता - कवि सुदामा दुबे
चंचल चपला सी चंद्रमुखी फूलों सी लगे महकी महकी! गुलमोहर सा सिंदूरी बदन हिये प्रीत अगन दहकी दहकी!! चंचल चपला सी निकसी शृंगार किए घर …
नवरात्रि और कन्या - आलेख - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नवरात्र शक्ति भक्ति प्रीति, नीति रीति न्याय, समरस संस्कृति की पावन और सशक्त भावनाओं का संगम चित्र बन कर य नवीय समाज के समक्ष उपस्थापित…
कोरोना अब तो रहम कर - कविता - कर्मवीर सिरोवा
ग़रीबी में कोई कैसे रह लें दीवारों में दिन भर, बेबसी में रोता रहा था निर्धन परिवार रात भर। धनवानों ने तो लूटी तन्हाई खाया था पेट भर, थू…
मैया स्तुति - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार
अपणी शरण मै ले-ले मनै तु मईया शेरोवाली री। जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।। ब्रम्हा जी की आण छुड़ाया मधु-कैटभ के बल से, शंक…
रंगीन बसंत - कविता - डाॅ. वाणी बरठाकुर "विभा"
अब चारों ओर महक रहा है आया रंगीन बसंत बसंती टगर फूल खुश्बू हवा के संग गगन को चूम रहा बरदैचिला बावली सी उड़ कर महकाती गई बिखेरकर …
महाशक्ति की आराधना - कविता - शिव शिल्पी
हे माँ शक्तिशाली तुम हो बलशाली, हे शक्ति स्वरूपा ओ माँ शेरावाली। माँ हम भक्त बनकर तेरे द्वार आए, मन में आशा है माँ देगी खुशहाली।। नवरा…
अवध में जन्मे हैं श्रीराम - शृंगार छंद - अभिनव मिश्र "अदम्य"
हुए सब हर्षित हैं पुर ग्राम। अवध में जन्मे हैं श्रीराम। बज रहे ढोल नगाड़े साज। छा गईं घर घर खुशियाँ आज। मचा है चहुँ दिशि खूब धमाल। सभी …
जीने की इक उम्मीद - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
जीने की इक उम्मीद को दिल मे जगा गया। जैसे दवा बीमार को कोई पिला गया। बीते कई अरसे हँसी होंठों पे न आई, जादू था कोई उसमें वो पल में हँस…
रूहानी चीज़ है उपवास - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
निश्चित ही उपवास आत्मा की शुद्धि का शानदार उपकरण है। उपवास एक रूहानी चीज है ना कि केवल शारीरिक। इसका रुख ईश्वर की तरफ़ होता है। उपवास स…
पथिक - कविता - ममता रानी सिन्हा
हो यात्रा कितनी भी असहज, पग-पग लथपथ हर जनपद, बन सहनशीलता का काँटा, स्वयं ही गरना पड़ता है, पथिक को चलना पड़ता है। हो ग्रीष्म का सूर्य बि…
एकान्त - कविता - नमन शुक्ला "नया"
जूठनें ना उठाई, न जूठा पिया। इसलिए दूर संसार ने कर दिया। मोह, संकोच, सम्बन्ध सब त्यागकर, आत्म सन्तोषवश सत्य ही कह सका। बाह्य व्यक्तित…