मैया स्तुति - गीत - समुन्द्र सिंह पंवार

अपणी शरण मै ले-ले मनै तु मईया शेरोवाली री।
जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।।

ब्रम्हा जी की आण छुड़ाया मधु-कैटभ के बल से,
शंकर जी को तुमने बचाया भस्मासुर के छल से,
देव बचाए असुरों के दल से, हाथ मै खड्ग उठाली री।
जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।।

शुम्भ-निशुम्भ संहार दिये लड़ी चंडी बण कै रण मै,
रक्तबीज का रक्त पीया ना गिरणे दिया धरण मै,
वास तेरा सै कण-कण मै, ना कोय जगह सै खाली री।
जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।।

महिषासुर तनै मार गिराया रूप दुर्गे का धर कै,
अकबर का तनै मान घटाया प्यार ध्यानु तै करकै,
जो भी पहुँचा तेरे दर पै, ना खाली भेजा सवाली री।
जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।।

समुन्द्र सिंह नै जाण नहीं थी तेरी महिमा के बारे मैं,
सुण कै महिमा दौड़ा आया मईया तेरे द्वारे मैं,
भजन लिखूँ तेरे प्यारे मैं, तु करिये मेरी रखवाली री।
जाण गया मैं महिमा तेरी मईया सबसे निराली री।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos