आप आए चँहक उठा हिय, नेह का स्पंदन है।
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।।
इतनी खुशियाँ छाई, मेरी आँखें भर आई,
प्रेम सहज पगुराई, गीत अधर पर झर आई।
जहाँ-जहाँ पड़े चरण कमल वह धूल चंदन है,
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।
चँहक रहे हैं खग-वृंद, हँस रही फुलवारी है,
अमराई की मद मय में, जड़ चेतन वारी है।
धन्य हुआ जीवन मेरा, माटी तन कुंदन है,
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)