अभिनंदन - गीत - संजय राजभर "समित"

आप आए चँहक उठा हिय, नेह का स्पंदन है।
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।। 

इतनी खुशियाँ छाई, मेरी आँखें भर आई,
प्रेम सहज पगुराई, गीत अधर पर झर आई।

जहाँ-जहाँ पड़े चरण कमल वह धूल चंदन है,
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है।

चँहक रहे हैं खग-वृंद, हँस रही फुलवारी है, 
अमराई की मद मय में, जड़ चेतन वारी है।

धन्य हुआ जीवन मेरा, माटी तन कुंदन है,
आपका अभिनंदन है, आपका अभिनंदन है। 

संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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