कृष्ण गोपाल सोलंकी - दिल्ली
वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा - ग़ज़ल - कृष्ण गोपाल सोलंकी
गुरुवार, अप्रैल 22, 2021
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
तक़ती : 212 212 212 212
हौसलो से हमारे संवर जाएगा,
वक़्त नाज़ुक है बेशक गुज़र जाएगा।
है क़हर ये कोरोना का चारों तरफ़,
मास्क, दूरी रखो तो ये मर जाएगा।
क्यूँ गुमाँ में है सूरज तपा कर हमें,
शाम होने तलक तू उतर जाएगा।
ज़िन्दगी की ये गाड़ी किसी की नहीं,
कौन जाने कहाँ कब उतर जाएगा।
है सियासत भरोसा किसी का नहीं,
कौन जाने कहाँ कब मुकर जाएगा।
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