देहाती स्त्रियाँ - कविता - विक्रांत कुमार
सोमवार, अगस्त 28, 2023
रात और दिन का क्षण
पाय-पाय रेजकी का संग्रहण
घर-गृहस्थी की गुमकी
पसीने से तर-बतर हौसला
गृहस्थ आमद और खाता-बही
देहती स्त्रियाँ
सबको सँजो कर रखती है
सुरक्षित अपने कल के लिए
जान लीजिए स्त्रियों के पास
कतरन और कटौती दोनों का हिसाब होता है।
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