देहाती स्त्रियाँ - कविता - विक्रांत कुमार

देहाती स्त्रियाँ - कविता - विक्रांत कुमार | Hindi Kavita - Dehaatee Striyaan - Vikrant Kumar | देहाती स्त्रियों पर कविता. Hindi Poem About Village Women
रात और दिन का क्षण 
पाय-पाय रेजकी का संग्रहण 
घर-गृहस्थी की गुमकी 
पसीने से तर-बतर हौसला
गृहस्थ आमद और खाता-बही 

देहती स्त्रियाँ 
सबको सँजो कर रखती है
सुरक्षित अपने कल के लिए 

जान लीजिए स्त्रियों के पास
कतरन और कटौती दोनों का हिसाब होता है।

विक्रांत कुमार - बेगूसराय (बिहार)

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