संदेश
चंट लेखिका - रिपोर्ताज - ईशांत त्रिपाठी
क्या लिखते हो रंजन भाई!! सच कहूँ तो जो कोई भी आपके लेखन को पढ़ेगा तो इन शब्द-अर्थ और विषय के सौन्दर्य में उसकी तादात्म्यता हो ही जाएँग…
प्रेम कविता - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो सिर्फ़ मेरा और मेरा है जिस पर सिर्…
गीत तेरे दर आने तक - गीत - सौरभ तिवारी 'सरस्'
माना देर लगा दी मैंने गीत तेरे दर आने तक लेकिन मेरा साथ निभाना माटी में मिल जाने तक। साँसों के थम जाने तक... हम तो माया में भूले थे सो…
पर्यावरण संरक्षण - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
निज राष्ट्र की पुनीत पावन धरा को, मिलकर हरियाली से प्रफुल्ल बनाएँ। पर्यावरण संरक्षण में हम दे योगदान, प्रकृति के प्रति आत्मकर्तव्य निभ…
झाँसी न दे पाऊँगी - कविता - राघवेंद्र सिंह
जब भारत पर अंग्रेजों ने, निज अधिकार जमाया था। राज्य हड़पने की नीति को, गोरों ने बनवाया था। तब झाँसी की एक नायिका, क्रान्ति ज्वाल बन चम…
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन। इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है। इस ले…
प्रेम का प्रतिदान कर दो - गीत - सुशील शर्मा
हृदय का तुम मान कर दो प्रेम का प्रतिदान कर दो। प्राण तुम हो, साँस तुम हो टूटे हृदय की आस तुम हो हार के अंतिम क्षणों में जीत का आभास तु…
एक सवाल - कविता - निवेदिता
छोटा सा है, एक ख़्याल, उफान मचाता एक सवाल। याद है रखना या भूल है जाना, पढ़े जा चुके पन्नों का फ़साना? लोग कहे वो बीता पल था, दर्दनाक म…
शरदाकुल कुहरा प्रलय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शरदाकुल कुहरा प्रलय, अगहन पूस बसात। सिहराती तनु अस्थियाँ, कौन सुने जज़्बात॥ विषम शीत कुहरा गहन, कहाँ वस्त्र तनु दीन। आज़ादी हीरक बरस,…
बिमारियाँ - कविता - गणपत लाल उदय
खान-पान में आजकल यह सन्तोष सभी रखिए, इस काल्पनिक दुनियाँ से अब-बाहर निकलिए। युवाओं में भी बढ़ रही है ये मोटापे से बिमारियाँ, बाहरी खान…
हे वसुधा के शृंगार - कविता - मयंक द्विवेदी
हे! वसुधा के शृंगार हे! प्रकृति के उपहार हे! सुवासित मल्हार हे! ऋतुओं के ऋतुराज देख रहे नयन शबनम शबनम के जलकण में श्याम मेघों के दर्प…
भाई - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भाई बिन सूनो जगत् जस पादप बिन पात। हृदय सिन्धु में धड़कता वहीं सहोदर भ्रात॥ वही सहोदर भ्रात बने जीवन की धारा। जब संकट की मार समर्पि…
जाति, जाती नहीं - कविता - शिवानी कार्की
माँ, आपने मुझे बचपन से सिखाया था... कि पानी देवता हैं सबका साँझा है और तुम तो शुक्र करो कि तुम इंसान हो... इतना बड़ा लोकतंत्र है और ना…
कहने को बस चराग़ थे हम - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
कहने को बस चराग़ थे हम काग़ज़ के घर में आग थे हम अंक से मुझे आँकना ना अब शून्य में... अंक से भाग थे हम। अर्ज़ थी तो बात थी कुछ मर्ज़ीयों म…
जो बचाना चाहते हो बच भी जाएगा मगर - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 2122 212 जो बचाना चाहते हो बच भी जाएगा मगर, एक दिन मौसम सुहाना दिल जला…
सैनिकों को नमन - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
वे वहाँ पर देश की दीवार बनकर के खड़े हैं, दुश्मनों को क्या पता है, वीर पर्वत से अड़े हैं। जो कोई हथियार की धमकी दिया करते हैं हमको, सै…
श्री बागेश्वर धाम - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जय जय बोलो जय हनुमान जय जय श्री बागेश्वर धाम सीय राम भज आठो याम बन जाएँगे बिगड़े काम जय जय श्री बागेश्वर धाम। जिनकी कृपा से जीवन सँवरे …
हम हैं डरे-डरे - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
फफक-फफक कर आँखें रोईं आँसू नहीं झरे। तुषार छाया शहर-शहर है। जाड़ा ढाता रहा क़हर है॥ मौसम के जैसे देखो तो लगते घाव हरे। आपसदारी लोग भूलत…
ख़ुशियों के गीत - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ख़ुशियों के गीत गा पाएँ हम, अरमान दिली उद्गाता है। बिन गेह वसन क्षुधार्त्त प्यास, दे मदद ख़ुशी हर्षाता है। नित ख़ुशियाँ दे मुस्कान अध…
कहते कहते चुप हो गया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कहते कहते चुप हो गया, स्वयं को सोच, विगत को नोच, आगत का बोझ, आँखों से सब रो गया। उनसे आगे, किस से भागे, क्षण थे कब से अभागे। जीवन को ज…
काठ का कलेजा - कविता - संजय राजभर 'समित'
एकदम सून्न सी लाचार बदनसीब एक माँ अपने तेरह साल के बच्चे को परदेश जाते हुए देख रही थी सरपट दौड़ती गाड़ी ओझल हो गई फिर भी ताक रही थी सो…
दुःख हमें भी हुआ था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
दु:ख हमें भी हुआ था; जब हमारी साँसें रुकी थी। दर्द तुम्हें भी होगा; जब तुम्हारा व्यापार बंद होगा। भावनाओं का खेल पूर्ण विराम लेगा। विच…
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