संदेश
नन्हीं चिड़िया - मुक्तक - रवि शंकर साह
मेरे आँगन में आ गिरी एक दिन एक नन्हीं सी, सुंदर सी चिड़िया। खून से लतपथ, करती छटपट। पैरो में बंधी थी रेशम की डोर । पीड़ा से थी अत…
पैसा - कविता - सौरभ तिवारी
पैसे से ही नाम है पैसे से सम्मान पैसा जिसके पास है उसका है गुणगान । बिन पैसे के तू हुआ पैसा हुआ तो आप । पैसे से निर्मल बने …
सुख - दुःख का मोल - गीत - महेश "अनजाना"
सुख दुःख के तराजू में, जीवन को बस तोल रे....! सुख दुःख के बिना नहीं जीवन का कोई मोल रे....! सुख का आनंद तो मिले जब दुःख में तप…
अपनी सफलताओं से कैसे खुश रहें? - लेख - सुनीता रानी राठौर
खुश रहना जीवन का चरम पहलू नहीं बल्कि बुनियादी पहलू है। मन अभिमान से नहीं आत्मविश्वास से भरा हो तब हम सदैव कुछ न कुछ नए कार्य करने…
हनुमत स्तुति - त्रिभंगी - प्रशांत अवस्थी
हे हनुमत प्यारे, जग रखवारे, नाम उचारे, आ जाओ। संकट गहराया, मन घबराया, तुम्हें बुलाया, आ जाओ। शोकनिवारणाय, लोकपूज्याय, रामभक्ताय, भ…
संकल्प शक्ति - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
संसार की सफलताओं का मूल मंत्र उत्कृष्ट मानसिक शक्ति, दृढ़ संकल्प शक्ति ही है। इसी की प्रबलता से संसार में व्यक्ति कोई भी वस्तु प्रा…
हाय रे कोरोना - कविता - अंकुर सिंह
आज मन बड़ा व्याकुल है, कल के चक्कर में आज आकुल हैं। हाय रे कोरोना! हाय रे कोरोना ! तेरे चक्कर में जगत पूरा शोकाकुल है।। पूरे सा…
नित सुभाष अनुबन्ध बनाएँ - मुक्तक - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
भव्य मनोहर चितवन भावन, प्रेमाक्षर नव अंकुर लगाएँ। मधुर सरस लम्हों को पावन, नित सुभाष अनुबन्ध बनाएँ। गंगाज…
मृत्यु - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मृत्यु का क्या? उसे तो आना ही है, जीवन चक्र में मृत्यु ही परम सत्य है। जीवन का हर सत्य बदल सकता है, परंतु मृत्यु की अपनी अट…
जागी हुई आँखो में क्या है - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
जागी हुई आँखों में क्या है । यानी तेरी यादों में क्या है ॥ सिर्फ खुदा की अज़मत है ये । तेरी - मेरी सांसों में क्या है l उम्र क…
प्रकृति - कविता - प्रवीन "पथिक"
डूबा दिवा अनंत आकाश में, कई आँसू गिरे क्षितिज के पार। याद आया घुमड़ता घन, विरत दर्शनोपरांत संसार। याद आई मधुपों की गुंजार, घुलन…
जय हिन्द - कविता - चन्द्र प्रकाश गौतम
खुश रहो खुश मिजाज रहो जो रहो सिर्फ आज रहो। कल की क्या भरोसा कल किसने देखा है। लोगो के दिलो का सरताज रहो। इन्सानों कि संख्या बढ…
उम्र का झोला - कविता - ममता शर्मा "अंचल"
आज, आज से फिर यह बोला राज़ खुशी का, हँसकर खोला कल की बात न करना प्यारे सोच नयन मत भरो दुलारे कल गुज़रा या आने वाला …
अल्फ़ाज़ों के अफ़सानों में - कविता - अतुल पाठक
ये कविता पंजाब के सबसे लोकप्रिय लेखक अमृता प्रीतम जी को समर्पित हैं। अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवियत्री माना जाता है। …
सफलताओं से खुश रहना सीखें - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सफलता पाने की इच्छा आप चाहे जिस उम्र में हों, दुनिया के कहीं भी रहते हों या आप के कैरियर का चाहे जो लक्ष्य हो, लेकिन हर किसी के जीव…
दुःख और सुख - कविता - मधुस्मिता सेनापति
दुख में ही तो सुख का महत्व ज्ञात होता है दुख में ही तो शत्रु, मित्र का पहचान होता है !! दुख में ही तो सुख का महत्व ज्ञान होता …
अभिलाष कहाँ आँसू जीवन - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गरीबी के आँसू की धारा, अविरत प्रवहित अवसाद कहे। लोकतन्त्र नेता का नारा, दीन हीन स्वयं हमराह कहे। रनि…
भगवान - लघुकथा - दिलशेर "दिल"
"भैया, कछु नईंऐं कोरोना-वोरोना! सब कमाई को धंधों बना लओ डॉक्टरन ने। हल्को सो खाँसी ज़ुकाम भओ नईं कि ठूस दओ कोरनटाईन में।…
वक़्त निशानी छोड़ गया - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
वक़्त इतनी ही निशानी छोड़ गया सूनी पलकों पे वो पानी छोड़ गया किया था इश्क़ संग सार होने को मुझे मगर बदगुमानी छोड़ गया इक नया जहाँ…
देखो तो - कविता - सतीश श्रीवास्तव
ज़मीं पर उग रहे हैं कँटीले तार देखो तो, एकता के सभी नारे हुए बेकार देखो तो। सहारा जिसको समझा था सुबह के स्वप्न में मैंने, वही निक…
संस्कार - लघुकथा - समुन्द्र सिंह पंवार
नई बहू से बात करते हुए सासु माँ बोली आज मेरे पैरों में बहुत दर्द है। तभी बेटा: देखों माँ के पैरों में दर्द है दबा दो। बहुँ: मै…
इजाज़त - कविता - संजय राजभर "समित"
भारी मन से माँ ने इजाजत दे दी बेटा बहू के साथ चल दिया हनीमून पर, वह एक बार भी माँ के अन्तर्मन को जानने की कोशिश नही किया । …
ज़िंदगी है हंसीं - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
दोस्त खुद से मोहब्बत किया कीजिये। जिंदगी को न यूँ, बददुआ, कीजिये बेख़ुदी में क़दम डगमगा गर गये। फिर से उठके सम्भलकर चला कीजिये। जि…
धन की है खूब माया - मुक्तक - बजरंगी लाल
कोई नहीं है अपना, कोई नहीं पराया, स्वारथ के इस जहां में- दौलत से मोहमाया,रिश्ते हुए बजारू- धन की है खूब माया, बापू से पूछे बे…
तेरा चेहरा - कविता - कपिलदेव आर्य
तेरा खिलखिलाता हुआ चेहरा, जैसे महकता गुलाब लगता है! और तेरा हँसकर मुँह छुपाना, जैसे छलकता शबाब लगता है! जैसे झरना पहाड़ से गिरत…
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