दुःख और सुख - कविता - मधुस्मिता सेनापति

दुख में ही तो
सुख का महत्व ज्ञात होता है
दुख में ही तो
शत्रु, मित्र का पहचान होता है !!

दुख में ही तो
सुख का महत्व ज्ञान होता है
दुख में ही तो
अपने और पराए की परख हो जाता है !!

आग में तप कर ही तो
सोने में चमक आती है
दुख को सह कर ही तो
सुख की अनुभव की जाती है !!

अँधेरी रात के बाद ही तो
जीवन में रोशनी आती है
जैसे पतझड़ के बाद ही
बसंत की बहार आती है !!

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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