जागी हुई आँखो में क्या है - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी

जागी  हुई आँखों में क्या है ।
यानी  तेरी  यादों में क्या है ॥
सिर्फ खुदा की अज़मत है ये ।
तेरी - मेरी सांसों में क्या है l
उम्र की हर मंजिल ने बताया ।
बड़ों की उन बातों में क्या है ॥
गाँव के  कच्चे घरों  के आगे ।
शहर के इन महलों में क्या है ॥
थोड़ा हकीकत से भी उलझो ।
बेवजह  के ख्वाबों  में  क्या  है ॥

अंदाज़ अमरोहवी - अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

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