जीवन को बस तोल रे....!
सुख दुःख के बिना नहीं
जीवन का कोई मोल रे....!
सुख का आनंद तो मिले
जब दुःख में तप जाएं।
दुख के बिना संसार में
ना सुख का दरस पाएं।
ईश्वर मालिक हैं सबके,
ना रहेगा कोई झोल रे.....!
काँटों में ही खिलते हैं
देखो फूल गुलाब का ।
दुख के बिस्तर हैं भले
लेलो सुख लिहाफ का।
धूप छाँव के तले जिओ
ये ढंग बड़ा अनमोल रे....!
सात सुरों का सार ये,
जीवन का संसार हो।
हर स्वर का भाव यहाँ
दिल में जगाए प्यार हो।
दुःख की दवा संगीत है
मीठे गीतों के बोल रे....।
महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)