पैसा - कविता - सौरभ तिवारी

पैसे से ही नाम है 
पैसे से सम्मान 
पैसा जिसके पास है
उसका है गुणगान ।
बिन पैसे के तू हुआ 
पैसा हुआ तो आप ।
पैसे से निर्मल बने
करले कितने पाप ।
पैसे से रिश्ते जुड़ें
दूर के होवें पास ।
बिन पैसे सब दूर हों
रिश्ता भले हो खास ।।
पैसा ही सच्चाई है
पैसा ही  ईमान ।
पैसा ही, तो बन गया
धरती का भगवान ।।
पैसा ही पूरे करे
सबके मन के खाब ।
बिन पैसे क्या जिंदगी
ज्यूँ कागज की नाव ।।
पैसे से ही न्याय है
पैसा ही सरकार ।
पैसे से ही जीत है
बिन पैसा, है हार ।
पैसा बिन निज सुत कहे
नहीं तू मेरा बाप ।
पत्नी भी ताना कसे
बलम निखट्टू आप ।।
पैसा की कीमत करे
अब तो सब संसार ।
पैसे पर निर्भर हुआ
दुनियाँ का व्यवहार ।।
पैसे से उपचार है
पैसा करे प्रचार ।
पैसे से ही बन सको
हर सुख के हकदार ।।
इसीलिए लिए मैं कहता हूँ
पैसा रखो पास ।
बिन पैसे के मत रखो
किसी भी सुख की आस ।।

सौरभ तिवारी - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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