जय हिन्द - कविता - चन्द्र प्रकाश गौतम

खुश रहो खुश मिजाज रहो 
जो रहो सिर्फ आज रहो।
कल की क्या भरोसा
कल किसने देखा है।
लोगो के दिलो का सरताज रहो।
इन्सानों कि संख्या बढ़ती जा रही,
इन्सानियत, जो मरती जा रही,
लोग डरते थे जानवर से, अब 
इन्सानों  से डर बढ़ीती जा रही।
इन्सान को इन्सान से यही है प्यार,
जो हो सके करते रहो उपकार।
मोहब्बत से मिठी मधुर बोल बोलो,
अपनों को अपने में अपनाकर बोलो।
हिन्द के निवासी हम एक हैं,
जय हिन्द बोलो जय हिन्द बोलो।

चन्द्र प्रकाश गौतम - मीरजापुर (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos