अल्फ़ाज़ों के अफ़सानों में - कविता - अतुल पाठक

ये कविता पंजाब के सबसे लोकप्रिय लेखक अमृता प्रीतम जी को समर्पित हैं।
अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवियत्री माना जाता है।
उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा "रसीदी टिकट" शामिल है।
अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका था।

अल्फ़ाज़ों के अफ़सानों में लिखती थी बेबाक सच्चाई वो,
पढ़ने वाले पाठक को रचना में देती दिखाई वो।

शब्दों के मोती संजो-संजो कर अंतर्मन को हर लेती वो,
भाव बसाने को अक्षर में कलम को थाम लेती वो।

खामोशियों को बड़े गौर से अमृता अक़्सर सुनती रहती थी,
रातों के समय वो प्रीतम ही सुकून से लिखती रहती थी।

लिखने वाले तो बस कविता लिखते और ज़िन्दगी जीते हैं,
मगर ज़िन्दगी को लिखती प्रीतम थी और कविता को ही जीती थी।

अफ़साने का हर अल्फ़ाज़ साहिर की नज़्र में लिखती थी,
वो प्रीतम थी जो प्रेम पर कविता लिख-लिख कर ही जीती थी।


अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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