संदेश
काश - कविता - अजय प्रसाद
कभी कभी मैं सोंचता हूँ आसपास जानवरो को देख कर काश ! मैं भी आदमी न हो कर अगर जानवर होता । तो कितना बेहतर होता । न भूत-भविष्य …
राफेल आया देश में - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अरि मद मर्दन हेतु ही , राफेल आया देश में । शत्रुओं का काल है ये , जेट मिशाइल वेष में । मित्र रशिया ने दिया है भेंट अद्भुत श…
जयतु संस्कृतम् - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जयतु संस्कृतं विजयतु भारतम् , अहर्निशं कुरु नित्यमरार्तिकम्। पूज्यं गानं मधुरं राष्ट्रमिदं , सुरभितनिकुञ्जमकरन्दसुखम् …
मोहमाया का जंजाल - कविता - डॉ. मीनू पूनिया
आज हर इंसान भाग रहा है धूप छावं को भी नहीं भांप रहा है, पैसे के लिये फैली मारामारी सब रिश्तों को मानव काट रहा है, पैसा करता है …
याद-ए-माज़ी के तसव्वुर से ही डर जाते हैं - ग़ज़ल - आले इमरान लखनवी
याद-ए-माज़ी के तसव्वुर से ही डर जाते हैं ज़ख्म जो तूने दिए थे वो उभर जाते हैं, झूठ जो बोलते रहते हैं मुसलसल मुझ से ऐसे अफ़राद …
राखी - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
भाई और बहन के अनन्त प्रेम, और अटूट विश्वास का प्रतीक है राखी। भाई और बहन के रिश्ते को, मज़बूत बनाती नींव है राखी। भाई और बहन …
मुश्किलों भरे सफर में - कविता - कपिलदेव आर्य
मुश्किलों भरे सफ़र में कोई साथ नहीं देता, बदल जाते हैं साये, जब पैसा पास नहीं होता! ख़ाली हो ज़ेब तो हमसाया भी छोड़ जाता है, यहा…
दर्द - कविता - सलिल सरोज
दर्द को भी नदी की तरह बहना आना चाहिए वर्ना एक जगह पर जमा होकर यह दर्द, कीचड़ बन जाता है जो गीला हो या सूखा है बस केवल बदबू देता …
रक्षा बन्धन या राखी - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आज श्रावणी पूर्णिमा , राखी का त्यौहार। पावन भाई बहन का , प्रेम सरित रसधार।।१।। कच्चा धागा प्रेम …
बहिन के नाम भाई की पाती - ग़ज़ल - अशोक योगी "शास्त्री"
तुम्हे दुनियाँ की सबसे खूबसुरत मै मानता हूँ , तुम मे ही अक्श माँ का मै ढूंढता हूँ ! याद आती है तेरी बचपन क…
निर्मल रक्षा बंधन - कविता - डॉ. मीनू पूनिया
रेशम की डोर नहीं सिर्फ ये स्नेह सूत्र है पवित्र बंधन का, जग में नहीं है ऐसा निर्मल कोई भाई- बहन के अटूट बंधन सा, बह रहा पावन मही…
रक्षाबंधन है राखी का त्यौहार - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
अटूट धागों के बंधन में, स्नेह का उमड़ रहा संसार। पूरे जग में सबसे सच्चा, है भाई-बहन का प्यार। यह शुभ दिन आज मनाते, रक्षाबंधन ह…
निशानियाँ - कविता - मनोज बाथरे चीचली
करती है इंतजार हर बहन रक्षाबंधन आने का लेगा भाई शपथ अपना वचन निभाने का आशा करती हुई बांधती है बहन अपने भाई की कलाई पर राखि…
अपनी ज़बान से - ग़ज़ल - डॉ. यासमीन मूमल "यास्मीं"
डंका बजा के बोल दो सारे जहान से। अब ज़ह्र कोई उगले न अपनी ज़बान से।। दुश्मन नज़र लगाते रहें कितनी भी मगर। लहराएगा तिरंगा इसी आन बा…
भारत हिय श्री राम - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
राम हृदय शिव वास है शिव मे हैं श्री राम । सीता हिय श्री राम है ,लखन लाल के राम । कौशल्या के राम वह कैकेयी के राम । सदा सत्य श्…
नज़ारों की तरहा - ग़ज़ल - प्रमोद "साहिल"
हम भी कभी थे सितारों की तरहा। कि इन खूबसूरत नज़ारों की तरहा। जिये ज़िंदगी तो कुछ ऐसे जिये, रहे हम ख़िज़ाँ में बहारों की तरहा। बिक…
जिंदगी से रुबरु - कविता - मधुस्मिता सेनापति
कहीं दर्द है तो कहीं खुशियां कहीं आसमान है तो कहीं नदियाॅं ! कभी खट्टी है कभी मीठी है ये जिंदगी तो बड़ी हसीन हैं ! यहां न…
मैं हूँ आखिर क्या - कविता - शेखर कुमार रंजन
मैं क्या चाहता हूँ? नहीं हैं पता, दर-दर ढूँढता रहा मैं खुद को खुदा किस रास्ते चला हैं नहीं कुछ पता, क्या हैं मंजिल मेरी ज़रा तू बत…
रक्षा की डोर - कविता - गौतम कुमार कुशवाहा
श्रावण मास के पूर्णिमा दिन, आता हैं रक्षाबंधन। थाल सजाकर बहन लगती, प्यारे भाई को चंदन।। गली-गली में सजी हुई है, राखी की नई दुकान।…
दोस्ती - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
दोस्ती जीवन का सबसे बड़ा खज़ाना है सुख-दुख का अफ़साना है पल-दो-पल का रिश्ता नाता नहीं दोस्ती फर्ज़ है दोस्ती जो उम्रभर निभाना …
दोस्त और दुश्मन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कलियुग में कहना कठिन, कब कौन है मीत । दोस्त कभी दुश्मन बने , दुश्मन करते प्रीत।।१।। छल प्रपंच मिथ्या कपट, फँस लालच संसार। लाभ ह…
रंग गोरा ही देते - कविता - सलिल सरोज
थोड़ा ही देते लेकिन रंग गोरा ही देते इस लाचार बदन पे न स्याह रातों का बसेरा देते कैसा खिलेगा यौवन मेरा कब मैं खुद पे इतराऊँगी …
मुझे जीने दो - कविता - मधुस्मिता सेनापति
मैं भी इस दुनिया को देखना चाहती हूँ मुझे भी इस धरती पर आना है मैं भी इस संसार में आना चाहती हूँ मुझे जीने दो......!! मैं भी हर …
रक्षाबंधन एक पवित्र त्योहार - कविता - शेखर कुमार रंजन
भाई-बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक हैं रक्षाबंधन बहन द्वारा भाई के कलाई पर रेशम बाँधने का पर्व हैं रक्षाबंधन। बहन की रक्षा…
दूर है न पास है - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
ये दिल बहुत उदास है, न भूख है, न प्यास है न मंजिलों की है ख़बर , न कोई भी क़यास है समझ को छोड़कर गयी समझ , ग़ज़ब हुआ सुनो वो गैर है …
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