जिंदगी से रुबरु - कविता - मधुस्मिता सेनापति

कहीं दर्द है तो 
कहीं खुशियां
कहीं आसमान है
तो कहीं नदियाॅं !

कभी खट्टी है
कभी मीठी है
ये जिंदगी तो
बड़ी हसीन हैं !

यहां न कोई नियम
न यहां कोई कानून है
बस मन में
आगे बढ़ने का जुनून है !

दर्द ,गम, हर्ष
तो इसके नाम है
हर शख्स के लिए
जाल बिछाना इसका काम है !

हर कोई चाहता है
बने रहे इसके साथ
मगर यह साथ छोड़ देती है
यही तो है इसकी खास बात !

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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