मुझे जीने दो - कविता - मधुस्मिता सेनापति

मैं भी इस दुनिया को देखना चाहती हूँ
मुझे भी इस धरती पर आना है
मैं भी इस संसार में आना चाहती हूँ
मुझे जीने दो......!!

मैं भी हर रिश्ते को निभाना चाहती हूँ
मुझे भी अपने परिवार के साथ रहना है
मैं भी इस संसार में आना चाहती हूँ
मुझे जीने दो.......!!

दुनिया को देखने से पहले
मुझे मारो मत
मैं भी जीना चाहती हूँ
मुझे जीने दो.......!!

मैं भी पढ़ना चाहती हूँ
मुझे पढ़ने के लिए मौका दो
मैं भी संसार में आना चाहती हूँ
मुझे जीने दो.....!!

मैं भी संसार में आना चाहती हूँ
मुझे भी हँसने की इच्छा है
मैं भी आसमान में चमकते सितारों को देखना चाहती हूँ
मैं भी अपनी दिल की बातें चंदा मामा को बताना चाहती हूँ
मुझे जीने दो......!!

मुझे मत मारो
मैं भी दुनिया में आना चाहती हूँ
जन्म होने से पहले ही
मुझे मत मारो
मुझे जीने दो.......!!


मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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