संदेश
हवा - कविता - रमन कुमार श्रीवास्तव
मैंने तुम्हें पतंगों को आसमानों में उछालते देखा, और पक्षियों को मैंने आसमान में उड़ाते देखा, और मैं सुनता हूँ तुम्हे चारो ओर से गु…
आदमी - ग़ज़ल - समुन्दर सिंह पंवार
किस सांचे में आदमी ढलता जा रहा है अपना - अपनों को ही छलता जा रहा है क्यों दोष दें हम शहरों को आज यारो गांव का माहौल भी बदलता जा…
कभी सोचा ना था - कविता - राहुल जाटू
इतनी दूर हो कि भी तुम इतने पास हो जाओगे धड़कनों से ज्यादा तुम दिल के खास हो जाओगे कभी सोचा ना था कभी सोचा ना था हर ख…
एक दर्द - कविता - मयंक कर्दम
उभर जाता है, "एक दर्द" हंसते हुए सीने में। वक्त बयान दे रहा था, चिल्लाते हुए, मगर व्यस्त था, अपने आंसू छिपाने मे…
झूठ को सच हमेशा बताना पड़ा - ग़ज़ल - बलजीत सिंह बेनाम
झूठ को सच हमेशा बताना पड़ा फ़र्ज़ यूँ भी बशर का निभाना पड़ा आपकी बज़्म में लौटने के लिए हर क़दम क़ीमतों को बढ़ाना पड़ा ज़िंदगी के सभी स…
हमसे पूछो तो - कविता - तपन कुमार
जीने के लिए कौन कहता है कमबख़्त साँस चाहिए , हमसे पूछो तो बस तुम्हारी, एक याद ही काफी है ! रोने के लिए कौन कहता है शब्-ए-ग़म हो ज़ि…
श्री हरि का अवतार हैं, परशुराम भगवान - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
श्री हरि का अवतार हैं, परशुराम भगवान । अमर रहेंगे वह सदा , जब तक भू दिनमान। समकालीन ही अवतरित परशुराम श्री राम। महा …
बचपन का प्यार - कविता - बजरंगी लाल यादव
दाखिला लिया पहली कक्षा में, हुआ स्कूल में आना जाना, फिर हुयी मुलाकात उससे बातों-बातों में दोस्ताना, फिर साथ में बैठना, साथ में…
कोरोना जागरूकता पर कविता - प्रशांत अवस्थी
सुन लो भैया सुन लो बहना कोरोना से बचकर रहना यह समय घड़ी है बलवानी मत दिखलाओ तुम नादानी संयम से तुम घर में रह लो समझो इतना मा…
मीडिया धर्म - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
वैसे तो यारों सच दिखलाना, काम मीडिया का होता। मगर आजकल चाटुकारिता वश, फ़र्ज भुला वह भी देता । सही चीज को तोड़ मोड़ कर, दिखलान…
तेरा बोझ उठाये कौन - कविता - अभ्युदय त्रिपाठी
तेरा बोझ उठाये कौन। तुझको ये समझाये कौन। आंखों में डूबे हो तुम। तुझको पार लगाये कौन। पीते हो तुम मधुशाला। इतनी तुम्हें पिलाय…
शहीदों को मेंरा नमन - कविता - बजरंगी लाल यादव
वतन के हर शहीदों को मेंरा नमन, जिसने माँ भारती के लिए,लुटाया है अपना चमन, राह तकती रही घर पर,माँ-बेटी-बहन, खोलकर भी ना आए जो,अपन…
बादल -कविता - मयंक कर्दम
बादल अपने संग लपेट लेता है पानी, फिर भी समुंद्र खाली नहीं होता, कर लेता है सफर जिंदगी में, किंतु वक्त से विजय का प्रकाश कहा…
श्री राम कथा - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
श्री राम कथा का करते हैं हम प्रेम से गुणगान सुणियो रै धर कै ध्यान अवधपुरी के राजा दशरथ औलाद बिन ल…
दोस्तों मुझे देखकर हैरान ना हो - कविता - चीनू गिरि गोस्वमी
दोस्तों मुझे देखकर हैरान ना हो मै इश्क़ में नहीं हुं , बल्कि इश्क़ मुझमें है। मैं सुखी नदी नहीं हुं, …
तेरे इश्क मे तबाह - कविता - चीनू गिरि गोस्वमी
तेरे इश्क मे तबाह , मेरे पास ना गवाह .... रो रही मेरी आंखे , पर तुझे क्या प्रवाह..... मोहब्बत इबाद…
कर्म - कविता - गौतम कुमार
देश के प्रति समर्पण हो मेरा , ना मुझमें कोई हो मर्म। सफलता कदम चूमती है उनकी , जिनके अच्छे होते कर्म।। ना बैर हो ना द्वेष …
कोरोना काल के संदर्भ में एक गीत - डॉ गोविन्द द्विवेदी
कोरोना के कठिन समय में सजग सभी को रहना है। समरसता-समता की धारा में जन-जन को बहना है।। निजी स्वार्थ से ऊपर उठ, …
खिलौना - कविता - निरंजन कुमार पांडेय
खिलौना मेरा बचपन का सबसे अच्छा दोस्त मेरे तन -मन का उत्कर्षक मेरे साथ दिनभर रहना रात में बिछावन पर भी इसका साथ ही होना…
पहली मुलाकात - कविता - राहुल जाटू
कैसे भूल जाऊ अपनी पहली मुलाकात वो सर्दी वाली रात जब तू मुझ से मिलने आई थी आ के मेरी आगोश में समाई थीं पहली दफा तुझे इतने करीब…
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
छोड्यो पुराणी बातां नै इब इकीसवीं सदी आई बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ सबकी इसमै भलाई बेटी हैं सृष्टि का आधार बिन बेटी ना …
महकमा तालीम का उसको मिला सरकार में - ग़ज़ल - मनजीत भोला
महकमा तालीम का उसको मिला सरकार में पास दसवीं कर न पाया शख्स जो दो बार में और कुछ तो पेश अपनी चल नहीं सकती यहाँ चाहता है जी लगाद…
रूठे रहेंगे आप मनाते रहेंगे हम - ग़ज़ल - प्रेमकुमार पाल
रूठे रहेंगे आप मनाते रहेंगे हम । ये रीत इश्क की निभाते रहेंगे हम । तुम नफरतों की बात करते रहो युहीं । कांटों में दिल के फूल खिला…
लोग जब बेदार होंगे देखना, कुछ नए किरदार होंगे देखना - ग़ज़ल - मनजीत भोला
लोग जब बेदार होंगे देखना कुछ नए किरदार होंगे देखना गर उजाड़ोगे यूँ ही तुम आशियाँ तिनके ही तलवार होंगे देखना कब तलक बेकार फिरे…
पृथ्वी - कविता - निरंजन कुमार पांडेय
(कविता-पृथ्वी) पर्वत ,नदियाँ ,सुंदर फुलवारी विभिन्न आकार के जीव -जंतुओं का बोझ ढोती है धात्री तुल्य पृथ्वी है फर्ज कि संत…
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