देश के प्रति समर्पण हो मेरा ,
ना मुझमें कोई हो मर्म।
ना मुझमें कोई हो मर्म।
सफलता कदम चूमती है उनकी ,
जिनके अच्छे होते कर्म।।
जिनके अच्छे होते कर्म।।
ना बैर हो ना द्वेष हो ,
अंतर्मन की सब बात करें।
अंतर्मन की सब बात करें।
नेक कर्म है जिनके ,
वो पीठ पीछे ना आघात करें।।
वो पीठ पीछे ना आघात करें।।
वसुंधरा की रक्षा करना ,
मनुज का है कर्म।
मनुज का है कर्म।
प्रदूषण फैलाकर इसने ,
वातावरण को कर दिया गर्म।
वातावरण को कर दिया गर्म।
निकल पड़े संघर्ष क्षेत्र में ,
ना करना है विश्राम।
ना करना है विश्राम।
धीरे - धीरे ही सही
पर करेंगें देश हित में काम।।
पर करेंगें देश हित में काम।।
सत्य को प्रकट करने में ,
ना करना कोई शर्म।
ना करना कोई शर्म।
सफलता कदम चूमती है उनकी ,
जिनके अच्छे होते कर्म।।
जिनके अच्छे होते कर्म।।
गौतम कुमारबारीचक , मुंगेर (बिहार)