रूठे रहेंगे आप मनाते रहेंगे हम - ग़ज़ल - प्रेमकुमार पाल


रूठे रहेंगे आप मनाते रहेंगे हम ।
ये रीत इश्क की निभाते रहेंगे हम ।
तुम नफरतों की बात करते रहो युहीं ।
कांटों में दिल के फूल खिलाते रहेंगे हम ।
सौदा नहीं है प्यार, यह व्यापार नहीं है, 
इस राह में हर हार भुलाते रहेंगे हम ।
आँखें नहीं ये सावनी झूला है आपका, 
बैठे रहेंगे आप झुलाते रहेंगे हम ।
चाहें ना चाहें आप बुलाएँ ना बुलाएँ,
मंजिल हैँ आप तो फिर आते रहेंगे हम ।


प्रेमकुमार पाल

ग्राम ढबारसी, जिंदल नगर, ग़ाज़ियाबाद 

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