महकमा तालीम का उसको मिला सरकार में - ग़ज़ल - मनजीत भोला


महकमा तालीम का उसको मिला सरकार में
पास दसवीं कर न पाया शख्स जो दो बार में

और कुछ तो पेश अपनी चल नहीं सकती यहाँ
चाहता है जी लगादूँ आग मैं अखबार में

है करोडों का बजट जब मन्दिरों के वास्ते
क्या इज़ाफ़ा हो सकेगा तुम कहो रुजगार में

जान की क्या बात कीजे तुमसे प्यारी तो नहीं
कीमतें मिलती कहाँ हैं जान की बाजार में

शाह की मसरूफियत को नासमझ समझा करो
मुफ़लिसों की अर्ज़ियों का ढेर है दरबार में

ऐ हवा चलना संभल के दौर है बदला हुआ
दाग लगते देर ही लगती नहीं किरदार में

बागबां को डूबकर अब मर ही जाना चाहिए 
एक भी तितली नहीं महफूज़ इस गुलज़ार में


मनजीत भोला
कुरुक्षेत्र, हरियाणा

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos