बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - गीत - समुन्दर सिंह पंवार


छोड्यो पुराणी बातां नै इब इकीसवीं सदी आई
बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ सबकी इसमै भलाई

बेटी हैं सृष्टि का आधार
             बिन बेटी ना चलै संसार
जो समझें बेटी नै भार , वैं माणस घणे अन्यायी

बेटा - बेटी एक समान
             मत करो बेटी का अपमान
जो करते बेटी का मान , हो उनकी सफल कमाई

जो बेटी सही पढ़ - लिख जाती
             दो घरों की शोभा बढ़ाती
पिता , पति का नाम चमकाती, ना समझो बेटी पराई

समुन्दर सिंह गया बदल जमाना
             बेटी बचाना बेटी पढ़ाना
मेरी बात नै अमल में ल्याना , या बात सही बतलाई


समुन्दर सिंह पंवार
रोहतक , हरियाणा

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