तेरा बोझ उठाये कौन - कविता - अभ्युदय त्रिपाठी


तेरा बोझ उठाये कौन।
तुझको ये समझाये कौन।

आंखों में डूबे हो तुम।
तुझको पार लगाये कौन।

पीते हो तुम मधुशाला।
इतनी तुम्हें पिलाये कौन।

टुकड़े टुकड़े हैं दर्पण।
मुझको मुझे दिखाये कौन।

प्यासा हैं अम्बर पनघट।
सावन को बरसाये कौन।

सबके सब उलझे बैठे हैं।
मुझको अब सुलझाये कौन।

सबने पंख पसारे हैं।
कितना अब उड़ पाये कौन।

मुझसे राह गुजरती हैं।
लेकिन आये जाये कौन।

तुम मंजिल पर भटके हो।
तुझको राह दिखाये कौन।

अभ्युदय त्रिपाठी

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