संदेश
बाबा - कविता - रत्नप्रिया
नानी मेरी... लाती थी बाज़ार से साड़ियाँ, चूड़ियाँ और लठवा सिंदूर। अपनी बेटी के लिए। आज वही बेटी! जा रही है बाज़ार, बे-रंग साड़ियाँ और चाँद…
छवि (भाग ८) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(८) छवि है अनुपम कर्मभूमि की, अवलोकन कर लो ज़रा। कर्मयोगियों से जगमग है, मनमोहिनी वसुंधरा।। योगी रत हैं योग-ध्यान में, भोगी रत आसक्ति म…
लइका एम०ए० पास ह - हास्य भोजपुरी कविता - प्रवीन "पथिक"
पाँच लाख त नग़द चाहीं, अवरू एगो गाड़ी। फ्रिज कूलर रंगीन टी०वी०, दूध ख़ातिर चाही पाड़ी। एहि पाड़ा के जम के पोसनी, एकरे पर मोर आस ह। ठीक-ठ…
हिन्द चरित्र निर्माण - कविता - ममता रानी सिन्हा
हे भारत की पुत्रियों अब तुम जागो, जय हिन्द का चरित्र निर्माण करो। स्वंय की आत्मशक्ति को जागृत करो, और तुम लक्ष्मीबाई का आह्वान करो। हे…
अल्हड़ बारात - लघुकथा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मोहन बहुत ही मेधावी छात्र था। उच्चतम शैक्षणिक सफलता के बाद भी उसे योग्यतानुसार जीविका न मिल सकी। परिवार की स्थिति दयनीय और बड़े परिवार …
माँ - कविता - कमला वेदी
माँ तेरे चरणों में मेरा सजदा है मेरी साँसों में तेरा अक्स बसता है। कहाँ एक पल भी जुदा तू मुझ से, धमनियों में मेरे, तेरा रक्त दौड़ता …
निराला सपनों का संसार - गीत - रमाकांत सोनी
अपनों का मिलता स्नेह और प्रेम की मधुर फुहार, जीवन में आनंद हर्ष का लग जाए मधुर अंबार। निराला सपनों का संसार। सबसे हिल-मिल ख़ूब मिले समर…
गुफ़्तुगू - कविता - रामासुंदरम
कुछ पल पहले धूप का जो शरारती थक्का खिड़की के फर्मे को जकड़े था, वह अब सहमा सा कतरन बन आँगन पर उतर आया था। शायद शाम की तेज़ी को वह रोक…
जीवन - कविता - आशुतोष भारद्वाज
कुछ सपनों के मर जाने का, दुख अनहद होता है, हँसते रोते इस जीवन को, फिर भी जीना पड़ता है। कालचक्र में संबंधों को, हर पल पिरोना पड़ता …
वो मुक़द्दर कहाँ गया - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
अरकान : मफ़ऊल फ़ाइलात मुफाईलु फाइलुन तक़ती : 221 2121 1221 212 बचपन का वो मासूम सा मंज़र कहाँ गया। वो गाँव का छोटा सा समंदर कहाँ गया। अन-…
बरसो बरखा रानी - कविता - प्रीति बौद्ध
कारे कारे बदरा आसमान में छाए, कानन नाचे मयूर, मन मेरा हर्षाए। धरती की प्यास बुझाए बारिस का पानी, स्वागत है वर्षों से, बरसो बरखा रानी। …
दुःख - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
दुःख तेरा एहसान है कि सुख का एहसास करा देता है, व्यथा ही एक ऐसी विधा है, जो ईश्वर को याद दिला देता है। अगर विपत्ति न हो तो अपनों की प…
गीत मिलन के गाऊँगी - कविता - राजकुमार बृजवासी
गीत मिलन के गाऊँगी, संगीत वही गुनगुनाऊँगी, जो पिया मन भाए, प्रीत वही अपनाऊँगी। गीत मिलन के गाऊँगी, गीत मिलन के गाऊँगी।। रिम-झिम रिम-झि…
दुख ही सच्चा मित्र है - गीत - स्नेहलता "स्नेह"
पैर छलनी रोता अंतस हँसता छाया चित्र है, वेदना क़िस्मत श्रमिक की दुख ही सच्चा मित्र है। ख़ूब मेहनत से कमाते रोटियाँ दो जून की, भू बिछौना,…
हम ज्योति हैं - कविता - ज्योति सिन्हा
दुनिया के दिए हर ग़म के ख़िलाफ़ हँसते हैं, हम ज्योति - स्वयं जल कर रोशनी करते हैं! हवाओं की क्या है बिसात जो बुझा दे हमें, शीश महल में नह…
हमारी पारंपरिक संपदाओं को बचाएँ - आलेख - डॉ. शंकरलाल शास्त्री
नया नौ दिन और पुराना सौ दिन की कहावत भला आज कितनी सच होती जा रही है यह बात किसी से छिपी नहीं है। दशकों पूर्व जब हम घर से स्कूल आते-जात…
सत्कर्मों से कल्याण - कविता - कुन्दन पाटिल
मृत्यु का आभास जब होने लगा, सद्गुणों का तब उदय होने लगा। चिंता छोड़ सत्कर्म को हम जुटे, मृत्यु भय से जीवन खिलने लगा।। मैं और मेरा हम कर…
आया शहर कमाने था बरकत के वास्ते - ग़ज़ल - अभिनव मिश्र "अदम्य"
अरकान : मफ़ऊल फ़ाइलात मुफाईलु फाइलुन तक़ती : 221 2121 1221 212 आया शहर कमाने था बरकत के वास्ते। लेकिन भटक रहे बद-क़िस्मत के वास्ते।। कह के…
हालात - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
गुम हूँ मगर मैं खोया नहीं हूँ, कई रातों से मैं सोया नहीं हूँ। सूखे नहीं आँसू मेरी आँखों के, मर्द हूँ इसलिए मैं रोया नहीं हूँ।। आज बदले…
छवि (भाग ७) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(७) मानव योगी, मानव भोगी, मानव ईश समान हैं। मानव सज्जन-दुर्जन, हिंसक, मूरख अरु विद्वान हैं।। सामाजिक प्राणी है मानव, धार्मिक निष्ठावान…
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