प्रदीप श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
वो मुक़द्दर कहाँ गया - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
शनिवार, जून 26, 2021
अरकान : मफ़ऊल फ़ाइलात मुफाईलु फाइलुन
तक़ती : 221 2121 1221 212
बचपन का वो मासूम सा मंज़र कहाँ गया।
वो गाँव का छोटा सा समंदर कहाँ गया।
अन-बोल हफ़्तों रहता था छोटी सी बात पर,
वो यार और उनका वो तेवर कहाँ गया।
ख़ुशियों की चहल-क़दमीं थी त्यौहार था हर-दिन,
आशीष भरा पुरखों का वो घर कहाँ गया।
उस बेटे की माँ ने गढ़े थे अफ़सरी के ख़्वाब,
मज़दूर बन गया वो मुक़द्दर कहाँ गया।
अंग्रेज़ियत की भेंट ये तहज़ीब चढ़ गई,
झुकता था अदब से कभी वो सर कहाँ गया।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर