संदेश
एक चीख - कविता - अवनीत कौर
एक चीख दिल दहला गई जो अनसुनी सी थी कानों को नहीं सुनी दिल के किसी कोने से निकली थी वो एक चीख। ये चीख थी उन एहसासों की जो दम ले…
खामोशियाँ - कविता - संजय राजभर "समित"
हाथ-पाँव दोनों बँधे थे लगभग दस फीट ऊपर एक डाल पर शोभा लटक रही थी चमचमाता चेहरा खुली आँखें मानो बोल पड़ेगी नीचे जमीन पर मात्र छः…
पतझड़ - कविता - मास्टर भूताराम जाखल
पत्ते पीले पड़ना पतझड़ की है निशानी, ज़िंदगी-जंग में भी कभी काया दे निशानी, नयेपन नवाकार लेता हैं प्राय: तत्पश्चात, जान ले खूबी को उसी ने…
खिलौना - कविता - विनय विश्वा
सूखी रोटी ओढ़ना बिछौना सर्दी गर्मी साथ है रहना प्राणी जन के उदर भरते सत्ता के गलियारों में हम कठपुतली बन गए खिलौना। सूखी रोटी ओढ…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग १४) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१४) संथाली विद्रोह, प्रांत में क्यों था जारी? क्या दामिन-ई-कोह, कचहरी थी सरकारी? न्याय हेतु संथाल, किया करते तय दूरी। बतलाओ जगपाल…
कवि भाव - कविता - राम प्रसाद आर्य
कवि भाव कविता में, नित भावुक कर देता है। हर अभाव-भाव उर नित, प्रभाव -भाव भर देता है।। कवि कलम-सरासन, शब्द-बान, जब, तरकस भर लेता …
प्रेयसी के प्रति - कविता - प्रवीन "पथिक"
प्रेम का सुखद पल अच्छा था! उन क्षणों में; जब मैं पास होता, बिल्कुल पास। बातों ही बातों में सब कुछ लुटा देता अपना ज्ञान, विवेक…
खुद को जीतो - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
बड़ा सरल है खुद को जीतना, मगर जीतने के लिए खुद से लड़ना कठिन है। हम जीत सकते हैं ये तो विश्वास है परंतु हम उहापोह में उलझ जाते है…
तुम पुकार लो - गीत - महेश "अनजाना"
जब भी हो जरूरत, तुम पुकार लो। जो भी होे शिकायत, तुम पुकार लो। यूं दिल लगाने की उम्मीद नहीं है, अगर हो मुहब्बत, तुम पुकार लो। चाक…
दिल के घाव हरे हो गए - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
बदहाली की एक तस्वीर जब नज़र आई , तन के सब रोम-रोम खड़े हो गए । जो काफी समय पूर्व ही भर चुके थे , वो दिल के घाव फिर हरे हो गए । आज …
कब तक - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
यूँ चेहरा छुपाकर रहे हमसे तो कब तक जीयेंगे, यूँही शर्माते रहे तो बात कब करेंगे। बीत गए कुछ पल यूँही, हमारे ना मिलने से भी, कब तक ये पल…
हमसफ़र के बिना - कविता - रमाकांत सोनी
तुम बिन रहना भी भला क्या रहना, सफ़र कटता नहीं हमसफ़र के बिना। खिलकर गुलशन हमारा गुलज़ार हो गया, दिल के जुड़ गए थे तार और प्यार हो …
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग १३) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(१३) मुण्डा भूमिज कोल, प्रबल विद्रोह किए क्यों? पंचायती विधान, फिरंगी बदल दिए क्यों? क्यों हित के विपरीत, बनी कानून बताओ। बोलो प्र…
तुमसे कुछ है कहना - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
अब हो न जाय फिर से दूरी तुम सब से कुछ है कहना, कोरोना से दूरी को मास्क लगाए रहना। आपा धापी हो कितनी भी तुम रखना दो गज दूरी, यह जीवन…
मिसाइल मैन कलाम - कविता - पुनेश समदर्शी
मिसाइल निर्माण भारत में कलाम कर रहे, सारे देश विश्व के सलाम कर रहे। चीन, रूस, अमेरिका, लंका हिला दिया, कलाम जी ने विश्व में डंका बजा…
धूप-छाँव - गीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
कभी तुम धूप लगते हो कभी तुम छाँव लगते हो, शहर की बेरुखी में तुम तो अपना गाँव लगते हो। बताओ मैं भला कैसे कहूँ अपनों ने ठुकराया, सभी रा…
आभार अर्धांगिनी - कविता - अंकुर सिंह
हम बस प्रिय-प्रिये नहीं, हम कदम-कदम के साथी हैं। हम बस दो जिस्म नहीं, हम जन्मों-जन्म के साथी है।। तुम ही हो मेरी सब खुशियाँ, तुम्…
साहिल पर बैठ - ग़ज़ल - विकाश बैनीवाल
साहिल पर बैठ मेरा इंतज़ार करना, मैं आऊंगा जरूर तुम एतबार करना। जो कह दिया मुकर के नहीं जाऊंगा, मेरे लहू में दौड़ता है करार करना। खड़ा…
सांवली सूरत - कविता - तेज देवांगन
ये जग मूझपे हसती है, अनेक समीक्षाएं रचती है। मैं मठमैली सांवली सी, हरकते मेरी बावली सी। किसी ने नहीं देखा मेरा अंतर्मन, सब देखते मेरे …
कोई बात नहीं - गीत - श्रवण निर्वाण
समय की सौगात कहूँ या विधाता की करामात। तन बोझ लगता है कायर मन डरता है कोई शान्ति नहीं कहीं भ्रांति नही समय की सौगात कहूँ या विधाता क…
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