जब भी हो जरूरत, तुम पुकार लो।
जो भी होे शिकायत, तुम पुकार लो।
यूं दिल लगाने की उम्मीद नहीं है,
अगर हो मुहब्बत, तुम पुकार लो।
चाक गिरेबां तो हो ना सकेगा,
मिलेगा जज़्बात, तुम पुकार लो।
तेरा नाम जमाने में बदनाम हो,
ऐसी हो मुसीबत, तुम पुकार लो।
दोस्ती का कदर कोई क्या जाने,
दुश्मनी की हालत, तुम पुकार लो।
अनजाना रहा इश्क के फसाने से,
सदके इबादत, तुम पुकार लो।
महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)