उम्मीद - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'

सफलता यदि छत है 
तो असफलताएँ
उसकी सीढ़ियाँ
खोकर तुमने जो पाया है
देख उसे, आगे बढ़ेंगी
आने वाली पीढ़ियाँ
आसमाँ बड़ा है
मुश्किलों का पहाड़ खड़ा है
पर कहाँ हार मानेगीं 'सृजन'
उम्मीदों से भरी आसमान में 
उड़ने वाली चिड़ियाँ।

डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन' - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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